मधुबन-बापूधाम योजना नहीं हुई सफल: 10 साल बाद भी वही हालात, पुनः परिक्षण करेंगे अधिकारी

Madhuban Bapudham Scheme: मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना को लागू हुए 10 साल बात गए हैं। लेकिन इस योजना से ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है। 2011 से 2016 के बीच लागू हुई, इस योजना में 20 फीसदी से अधिक संपत्तियां अभी भी खाली पड़ी हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए जीडीए को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। हालात ये हैं कि ईब्ल्यूएएस और एलआईजी द्वारा बानाए गए मकानों की हालत जर्जर हो रही हैं।वहीं, 2016 में समाजवादी आवासीय योजना द्वारा मकान बनाए गए थे। इस योजना में बने 296 भवनों में 60 फीसदी से ज्यादा भवन नहीं बिक सके हैं।
2012-13 में हुई बसावट
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने 2004 में मधुबन-बापूधाम योजना शुरू की थी। इस योजना में करीब 1234 एकड़ जमीन को योजना के लिए चुना गया था। लगभग 10 साल तक इस योजना पर जोरों-शोरों से काम चलता रहा। इस योजना के तहत बनाए गए मकानों में 2012-13 में बसावट शुरू हुई। यहां करीब 7311 ईडब्ल्यूएस द्वारा और 1072 एलआईजी द्वारा भवनों का निर्माण किया गया है।
वहीं, एमआईजी द्वारा बनाए गए भवनों में मिनी एमआईजी, 16 मंजिला 1122 टू-बीएचके, थ्री बीएचके और थ्री प्लस स्टडी मकान बनाए गए थे। 10 सालों में फ्लैट की किमतों में बढ़ोतरी हुई है। जिसमें तब से अब तक 5 से 10 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो गई है। 2011-12 में कोई फ्लैट के दामों में कोई ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई थी, लेकिन उस फ्लैट की कीमत वर्तमान समय में 15 लाख तक पहुंच गई है।
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जीडीए ने बताया योजना के नियोजन में रह गईं कुछ खामियां
इस योजना के भवनों की बिक्री न होने के कारण जीडीए के उच्चाधिकारियों ने इस विषय पर गहनता से विचार कर रहे हैं। इस योजना को ऊपर उठाने के लिए स्टेशन का सर्वे कराया गया। साथ ही, नए सिरे से मैंपिंग की बात भी की गई। स्टेशन सर्वे के बाद सामने आया कि इस योजना के नियोजन में कुछ कमियां रह गई हैं, जिस की वजह से बिक्री पर असर पड़ा है।
योजना लेआउट में होगा परिवर्तन
जीडीए के उच्चाधिकारियों का कहना है कि अब नए सिरे से इस योजना के लेआउट में परिवर्तन पर विचार विमर्श किया जा रहा है। इस मामले को लेकर जीडीए वीसी अतुल वत्स का कहना है कि योजना में परिवर्तन करने के लिए लेआउट को प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में ले गया है। इस योजना में नागरिकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। योजना को आकर्षित बनाने के लिए हर पॉकेट में स्कूल, पार्क और मल्टी कॉम्प्लेक्स व्यावसायिक और भवनों के साथ ही अन्य सुविधाओं के लिए भी काम किया जाएगा।
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(Edit by: Sapna kumari)
