Delhi High Court: हाईकोर्ट ने सरकार और डीडीए को लगाई फटकार, बोले- 'आवास के लिए भीख मांगनी...'

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायिक सेवा और उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों को अब तक निवास न दिए जाने को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और डीडीए से कहा, 'हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। आप जरूरतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और अनुरोध को अनसुना कर रहे हैं। आपने अब तक इस कड़ी में क्या कदम उठाए हैं, उसका हलफनामा दीजिए।'
अगली सुनवाई पर डीडीए के निदेशक को तलब
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार को और दिल्ली विकास प्राधिकरण को जजों की जरूरत को समझकर इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। हालांकि ये लोग अनुरोध को ही अनसुना कर रहे हैं। आवास के लिए न्यायिक अधिकारियों को आपसे भीख मांगनी पड़ रही है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई पर डीडीए के निदेशक को तलब किया है। इसके अलावा आदेशों के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा भी मांगा है।
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दिल्ली हाई कोर्ट न्यायिक सेवा संघ ने दायर की याचिका
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट न्यायिक सेवा संघ द्वारा याचिका दायर की गई है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच इस मुद्दे की सुनवाई कर रहा है। याचिका में मांग की गई कि दिल्ली न्यायिक सेवा और दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों को सरकारी आवास जल्द दिए जाने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में आवासीय फ्लैट की कमी का हवाला दिया गया। साथ ही दावा किया गया कि रोहिणी और आनंद विहार में दो वैकल्पिक स्थान उपलब्ध हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को दिया निर्देश
इस दावे पर डीडीए के वकील ने कहा कि इस विकल्प पर विचार किया जा रहा है। इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव पर विचार करें। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर विभाग हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है। केंद्र और राज्य सरकार से दोनों के लिए कहा गया कि 'हमें दीवार की तरफ मत धकेलो। इस तरह से कोर्ट के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।'
एक सप्ताह के अंदर जारी करें आवंटन पत्र
बता दें कि डीडीए ने न्यायिक अधिकारियों के लिए भूमि आवंटन को लेकर पहले कहा था कि शाहदरा के सीबीडी ग्राउंड में फ्लैटों के लिए भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि अब तक कोई औपचारिक आवंटन पत्र जारी नहीं हुआ है। इसके कारण निर्माण को लेकर दिल्ली सरकार की तरफ से निर्णय लेने में देरी हो रही है। हालांकि डीडीए के वकील की तरफ से कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि आवंटन पत्र दो सप्ताह के अंदर जारी कर दिया जाएगा। वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर कहा है कि आवंटन पत्र जारी होने के बाद ही धन जारी किया जाना चाहिए।
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