Delhi Crime: मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

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प्रतीकात्मक तस्वीर।
Delhi Crime: दिल्ली पुलिस ने दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों आरोपी मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर लोगों से ठगी करते थे। लोग मोटे मुनाफे के लालच में इनका शिकार बन जाते थे। 

Delhi Crime: दिल्ली की साइबर क्राइम पुलिस ने मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो युवकों को गिरफ्तार किया है। आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की साइबर क्राइम पुलिस ने साइबर ठगी के मामले में सरफराज और मुन्ना नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया है। आरोपी साइबर ठगी करने के लिए लोगों को मोबाइल टावर लगवाने के नाम पर मोटा पैसा कमाने का लालच देते थे और फर्जी वेबसाइट और गूगल विज्ञापन के जरिए लोगों को फंसाकर अपना शिकार बनाते थे।

व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए किया पीड़ित से संपर्क

इस बारे में डीसीपी निधिन वलसान ने जानकारी देते हुए बताया कि पीड़ित पूठ खुर्द निवासी सोनू ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में उसने बताया कि साइबर ठगों ने व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए उससे संपर्क किया। उन्होंने घर की छत पर मोबाइल टावर लगवाने के लिए हर महीने किराया देने की बात कही लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ठगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए 1 लाख 85 हजार 650 रुपये जमा करने को कहा। पीड़ित मोटा मुनाफा कमाने के झांसे में आ गया और उसने पैसों का भुगतान कर दिया। पैसा लेने के बाद ठगों ने मोबाइल टावर नहीं लगाया और उसका फोन उठाना भी बंद कर दिया।

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सरफराज और मुन्ना गिरफ्तार

इसके बाद पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की। दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। इसके लिए इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में स्पेशल टीम गठित की गई। टीम ने मोबाइल नंबर, बैंक खाते आदि की जांच की। वहीं मोबाइल टावर के रजिस्ट्रेशन के लिए इस्तेमाल की गई वेबसाइट की जांच की गई, तो पता चला कि ये वेबसाइट समालखा के रहने वाले 36 वर्षीय सरफराज ने डेवलप की है। 37 वर्षीय मुन्ना सिंह गूगल पर विज्ञापन देकर लोगों को जाल में फंसाता था। 21 फरवरी को पुलिस ने छापेमारी कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल होने वाले 2 मोबाइल फोन और 4 लैपटॉप बरामद किए हैं।

गूगल एड्स के नाम पर करते थे ठगी

साथ ही पुलिस ने इस बारे में बताया कि ये गिरोह गूगल एड्स और ऑनलाइन मार्केटिंग के नाम पर लोगों को शिकार बनाता था। इन्होंने टेलिकॉम कंपनियों के मोबाइल टावर लगवाने का दावा करने वाली 50 से ज्यादा कंपनियों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना रखी थीं। पैसा मिलने के बाद वेबसाइट बंद कर देते थे और फोन नंबर स्विच ऑफ कर देते थे। ऐसे में लोगों को ठगी से बचने के लिए सावधान रहने की जरूरत है।

बरतें ये सावधानी

पुलिस ने कहा कि लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे में किसी अनजान वेबसाइट पर अपनी निजी जानकारी शेयर न करें। संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। किसी भी कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से ही काम करें। साइबर ठगी होने या शक होने पर 1930 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करें। पेमेंट करने से पहले अच्छी तरह से जानकारी ले लें।

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