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Arvind Kejriwal's assistant Bibhav Kumar sacked: सतर्कता निदेशालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार की सेवाएं समाप्त कर दीं। विशेष सचिव सतर्कता वाईवीवीजे राजशेखर ने कुमार के खिलाफ लंबित 2007 के एक मामले का हवाला देते हुए आदेश पारित किया।

Arvind Kejriwal's assistant Bibhav Kumar sacked: जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार को उनकी सेवाओं यानी पद से बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई विजिलेंस विभाग ने की है। विभाग के विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर के अनुसार, विभव कुमार पर यह कार्रवाई लंबित 2007 के एक मामले का हवाला देते हुए की गई है। जिसमें उन पर सरकारी काम में बाधा डालने और शिकायतकर्ता को गाली देने या धमकी देने का आरोप लगाया गया था।

विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने विभव कुमार के टर्मिनेशन को लेकर लेटर जारी किया है। जिसमें कहा गया कि विभव कुमार को आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो के निजी सचिव के पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। 

विभाग ने क्या कारण बताया?
विजिलेंस यानी सतर्कता निदेशालय ने बर्खास्तगी के पीछे विभव कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को कारण बताया है। यह मामला 2007 में नोएडा में विकास प्राधिकरण में तैनात महेश पाल नामक व्यक्ति ने दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि विभव कुमार ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता, एक लोक सेवक को उसके कर्तव्य का पालन करने से रोका। उसे गाली/धमकी दी।

एफआईआर में आगे कहा गया है कि बिभव कुमार और मामले के एक अन्य आरोपी राजीव कुमार को गिरफ्तार किए बिना, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया गया था, जहां यह वर्तमान में लंबित है।

सतर्कता विभाग ने कहा कि विभव कुमार की नियुक्ति से पहले उनके लंबित आपराधिक मामले के संबंध में पृष्ठभूमि की जांच नहीं की गई थी। उनके खिलाफ आईपीसी धारा 353, 504 और 506 के तहत दर्ज मामला दर्ज है। मामला लंबित होने के बावजूद उनकी नियुक्ति की गई। उनकी नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। इसलिए नियुक्ति अवैध और अमान्य है।

विभाग ने इस बात पर जोर दिया गया कि प्रशासनिक कार्रवाई आवश्यक है। इसलिए अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक को बर्खास्त किया गया।

8 अप्रैल को ईडी ने की थी पूछताछ
बिभव कुमार को उनके पद से तब हटाया गया, जब प्रवर्तन निदेशालय ने 8 अप्रैल को दिल्ली शराब नीति मामले में उनसे पूछताछ की। ईडी अधिकारियों ने कहा कि उनका बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था।

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