CJI BR Gavai's Struggle: 'एक दिन तुम CJI बनोगे, लेकिन वो दिन देखने...', जस्टिस गवई को जब पिता से मिली ये सलाह

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई।
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज बुधवार को देश के 52वें न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। एक वक्त था, जब बॉम्बे हाईकोर्ट के तात्कलीन मुख्य न्यायाधीश सीके ठक्कर ने जस्टिस गवई का नाम बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके नाम की सिफारिश करने की सहमति मांगी। लेकिन, उन्होंने इस पद पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जब उन्हें सोच समझकर फैसला लेने को कहा तो उन्होंने अपने पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई से सलाह मांगी। इसके बाद पिता ने जो सलाह दी, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
CJI BR Gavai को मिली पिता से ये सलाह
सीजेआई बीआर गवई का बचपन बस्ती में बीता था। लेकिन उनके पिता रामाकृष्ण सूर्यभान गवई ने बस्ती से निकलकर राजनीति में अलग पहचान बनाई। वे आंबेडकर को फॉलो करते थे। उन्होंने 1964 से 1994 के बीच महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष नेता पद की जिम्मेदारियां संभाली। उन्होंने 1998 में अमरावती लोकसभा सीट से जीत हासिल कर सांसद बने। इसके बाद अप्रैल 2000 से अप्रैल 2006 के बीच राज्यसभा के लिए चुने गए। जून 2006 में कांग्रेस की सरकार ने उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। इसके अलावा सिक्किम और केरल के भी राज्यपाल रहे थे। इसके बाद रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की।
उनका यह सफर दर्शाता है कि वे किस तरह से बस्ती से निकलकर राजनीति तक पहुंचे। ऐसे में जब बेटे गवई ने पूछा कि क्या उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनना चाहिए या नहीं। इस पर स्पष्ट जवाब देते हुए पिता रामकृष्ण ने कहा कि उन्हें यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेना चाहिए। मुझे पता है कि तुम समाज में और अधिक योगदान दोगे। तुम एक दिन भारत के मुख्य न्यायाधीश बनोगे, लेकिन वो दिन देखने के लिए वहां मौजूद नहीं रहूंगा। उनकी यह बात आज सही साबित हुई है। आज उनके बेटे ने सीजेआई पद की शपथ ले ली है, लेकिन उनके पिता रामकृष्ण उनके साथ नहीं हैं। उनके सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त होने से बहुत पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था।

सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई, साथ में उनके पिता रामकृष्ण गवई
खुद वकील बनने की थी चाहत
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि रामकृष्ण सूर्यभान स्वयं भी वकील बनना चाहते थे। उन्होंने लॉ स्कूल में दाखिला भी लिया, लेकिन सामाजिक व्यस्तता के चलते पढ़ाई जारी नहीं रख सके। उनके सपने को उनके बेटे ने पूरा किया। लेकिन जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की पहली चाहत आर्किटेक्ट बनने की थी, लेकिन अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए कानून की पढ़ाई की। उन्होंने नहीं सोचा था कि वो भारत के मुख्य न्यायाधीश पद तक पहुंचेंगे, लेकिन उनकी काबिलियत देखकर उनके पिता को भरोसा था कि वो एक दिन भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।
