Delhi Electricity Bill: मई-जून के महीने में आएंगे बिजली के ज्यादा बिल, 10 फीसदी तक बढ़ेंगे दाम

Delhi Electricity Bill Increase
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दिल्ली में बिजली बिल के दाम में बढ़ोतरी

Delhi Electricity Bill: दिल्ली में मई-जून के महीने में बिजली बिल के दाम ज्यादा आने वाले हैं। बिजली वितरण कंपनियों की ओर से PPAC चार्ज में बदलाव करने का फैसला लिया है। इससे बिजली बिल के दाम में करीब 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है।

Delhi Electricity Bill: दिल्लीवासियों को एक बड़ा झटका लगने वाला है। दिल्ली के लोगों को मई और जून के महीने में ज्यादा बिजली बिल भरना पड़ेगा। दरअसल, बिजली वितरण कंपनियों ने पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में बदलाव करने का फैसला लिया है। इसके चलते बिजली के दामों में मई-जून के महीने की अवधि में 7 से 10 फीसदी इजाफा होगा। बीते रविवार को अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) की ओर से तीनों बिजली वितरण कंपनियों को अनुमति भी मिल गई है। बता दें कि PPAC चार्ज को सिर्फ तभी बढ़ाया जाता है, जब गैस और कोयला जैसे ईंधनों की लागत में बढ़ोतरी होती है। ऐसे में PPAC चार्ज में इजाफा करके बिजली वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं से यह खर्च वसूल करती हैं।

क्या होता है PPAC?

बता दें कि PPAC चार्ज को बिजली उत्पादन कंपनियों द्वारा ईंधन की लागत में बढ़ोतरी होने पर बढ़ाया जाता है। इस चार्ज को बिजली बिल के निर्धारित शुल्क और ऊर्जा शुल्क (कितने यूनिट बिजली इस्तेमाल की गई) के हिसाब से प्रतिशत के रूप जोड़ा जाता है। दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) ने बिजली वितरण की तीनों कंपनियों को पिछले साल अक्टूबर से नवंबर के बीच में आए पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) को इस साल मई-जून के महीने में वसूल करने की मंजूरी दी थी।

मौजूदा समय में सभी बिजली कंपनियों के लिए अलग-अलग PPAC चार्ज तय किए गए हैं। इसके मुताबिक, बीवाईपीएल के लिए 8.11 फीसदी, बीआरपीएल के लिए 7.25 फीसदी और टीपीडीडीएल के लिए 10.47 फीसदी तय किया गया है।

बिजली बिल बढ़ने पर विरोध

बिजली बिल के दाम बढ़ाने को लेकर दिल्ली के लोगों में परेशानी बढ़ गई है। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध भी किया है। इसके अलावा यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली ने भी PPAC चार्ज में बढ़ोतरी को कानूनी रूप से गलत बताया है। वहीं, बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि PPAC चार्ज की वसूली बिजली खरीद लागत में बढ़ोतरी होने पर किया जाता है।

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