Delhi News: दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक, स्कूल से लौट रही 4 साल की बच्ची पर किया हमला

Stray dogs injured a 12 year-old girl in Delhi
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दिल्ली में  आवारा कुत्तों ने 12 साल की बच्ची को किया घायल

राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों के आतंक ने लोगों की टेंशन बड़ा रखी है। यहां किराड़ी में एक 12 साल की मासूम को कुत्तों ने काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

Delhi News: दिल्ली के किराड़ी गांव में आवारा कुत्तों के आतंक ने एक बार फिर लोगों को परेशान कर दिया है। गुरुवार को स्कूल से घर लौट रही चौथी कक्षा की 12 वर्षीय छात्रा काव्या शर्मा पर कुत्तों के झुंड ने अचानक हमला कर दिया। कुत्तों ने पहले उसके पैर में काटा, जिससे बचने की कोशिश में वह गिर पड़ी और उसका एक हाथ टूट गया। लड़की के पैर में गहरास घाव आया। घटना के समय आसपास के लोगों ने बच्ची को कुत्तों से बचाया। परिजनों घायल बच्ची को तुरंत अस्पताल ले गए,जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई। काव्या रोजाना पैदल ही पास के निजी स्कूल जाती-आती है। परिवार का आरोप है कि पहले भी रोहिणी जोन में खतरनाक कुत्तों की शिकायत एमसीडी में की गई थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एमसीडी की इस लापरवाही से इलाके के लोगों में आक्रोश है।

किराड़ी और आसपास के क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से बच्चों और बुजुर्गों का बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले छह महीनों में यह चौथी बड़ी घटना है। इससे पहले 24 नवंबर को प्रेम नगर में खेल रहे छह साल के बच्चे का पिटबुल ने कान काट लिया था। 30 जून को पूठ कलां में कुत्ते के काटने से एक छह वर्षीय बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं 23 जुलाई को अलीपुर में आंगनबाड़ी से लौट रहे चार साल के बच्चे पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया था। ये सभी मामले बताते हैं कि दिल्ली के कई बाहरी इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। लोग बार-बार शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। इसके बाद भी नगर निगम की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

इस समस्या के स्थायी समाधान की जरूरत है। ताकि स्थानीय लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें। एमसीडी को तुरंत कुत्तों को पकड़ने, टीकाकरण करने और सुरक्षित आश्रय देने की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को कुत्तों से बचाव के तरीके सिखाए जाने चाहिए। इन घटनाओं से पीड़ित परिवारों को गहरा मानसिक आघात पहुंचा है। बच्चे स्कूल जाने से डरने लगे हैं और बुजुर्ग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। स्थानीय समुदाय और निगम को मिलकर काम करना होगा। ताकि ऐसी दुखद घटनाएं दोबारा न हों और दिल्ली के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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