दिल्ली वायु प्रदूषण: नासा की तस्वीरें... पराली जलाने का मुद्दा; SC ने पंजाब-हरियाणा से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वायु प्रदूषण मामले पर की सुनवाई।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा को पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है। शीर्ष न्यायालय में दिल्ली के वायु निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों पर भी सवाल उठे। इसके अलावा, ग्रैप III की बजाए ग्रैप IV चरण लागू करने पर भी आदेश मांगे गए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ एमसी मेहता मामले में पर्यावरण संबंधित याचिकाओं के समूह में दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। एक आवेदक की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने न्यायालय को अवगत कराया कि दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 के पार पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि CAQM ने ग्रैप III क्रियान्वित कर दिया है, लेकिन स्थिति की मांग है कि ग्रैप IV को कियान्वित किया जाए।
वहीं, एक अन्य याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि वायु निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है। यह एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि हमने CAQM और CAPCB से जवाब देने का अनुरोध किया है। इस दौरान सीपीसीबी की तरफ से पेश हुए एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि हमने स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है, अधिकारी भी अदालत में मौजूद हैं, वे सब समझा देंगे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले को कल के लिए टाल दिया जाए।
नासा की तस्वीरों का दिया हवाला
वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने न्यायालय को बताया कि नासा के एक वैज्ञानिक हैं, जिनका कहना है कि उपग्रह के गुजर जाने के बाद ही फसल जलाई जाती है। उन्होंने यूरोपीय और कोरियाई उपग्रहों का विश्लेषण किया है। उन्होंने एक मीडिया कवरेज का हवाला देते हुए कहा कि एक किसान ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें खास समय पर ही पराली जलाने को बताया गया है। अगर नासा के वैज्ञानिक सही हैं, तो पराली जलाए जाने पर इकट्ठा किए गए आंकड़े शायद प्रमाणिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह सच है, तो चिंताजनक है।
17 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
शीर्ष न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा से पराली जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है। माननीय शीर्ष न्यायालय ने सभी मामलों को सुनने के बाद आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर 17 नवंबर की तारीख तय कर दी है।
