सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: स्कूल, अस्पताल, स्टेशन से हटेंगे आवारा कुत्ते, बाड़बंदी के लिए दिए 8 हफ्ते

Supreme Court: देश में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 7 नवंबर को सख्त फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी स्कूलों, अस्पतालों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल परिसरों में 8 हफ्ते के अंदर चारदीवारी (बाड़बंदी) कराई जाए। साथ ही आवारा कुत्तों को इन जगहों से हटाकर शेल्टर होम (आश्रय गृह) भेजने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद भी कुत्तों को उसी इलाके में वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम्स में रखना होगा। साथ ही राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से 'आवारा मवेशी' हटाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। आदेश का पालन न होने पर अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डॉग लवर्स में नाराजगी
बता दें कि जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने ये निर्देश दिए हैं। हालांकि कोर्ट के इस फैसले से पशु प्रेमियों में नाराजगी देखने को मिल रही है। इस आदेश के बाद देशभर में पशु अधिकार कार्यकर्ता और डॉग लवर्स नाराज हैं।
पीपुल्स फॉर एनिमल्स संस्था की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने कहा, "कोर्ट ने हमारी बात सुने बिना आदेश दे दिया। 8 हफ्ते में दीवार बनाना और कुत्तों को हटाना जमीनी स्तर पर संभव नहीं है। IIT, JNU, AIIMS जैसे संस्थानों में कुत्तों की देखभाल अच्छे से हो रही है, फिर भी इतना कड़ा फैसला देना गलत है।"
याचिकाकर्ता ननिता शर्मा ने कहा, "ये बेज़ुबान जानवरों के साथ अन्याय है।"
मुंबई के ग्रुप Street Dogs of Bombay ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "यह आवारा कुत्तों के लिए सबसे काला दिन है।"
कोर्ट के आदेश की खास बातें

- सभी स्कूल, अस्पताल, स्टेशन, बस स्टैंड, खेल मैदान 8 हफ्ते में बाड़ेबंदी की जाए।
- आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय गृह भेजा जाए, वापस न छोड़ा जाए।
- हाईवे से आवारा मवेशी हटाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
- आदेश न मानने पर अफसरों पर व्यक्तिगत कार्रवाई की जाएगी।
- 8 हफ्ते बाद कोर्ट में रिपोर्ट देनी होगी।
मामला क्या था?
28 जुलाई 2025: कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते कुत्ता काटने के मामलों पर मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया।
11 अगस्त 2025: दिल्ली सरकार से कहा गया कि कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजा जाए और वापस न छोड़ा जाए।
22 अगस्त 2025: नए बेंच ने फैसला पलट दिया और कहा कि नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी जगह छोड़ा जाए (रेबीज वाले कुत्तों को छोड़कर)।
अब 7 नवंबर 2025: कोर्ट ने फिर अपना रुख बदला और देशभर में कुत्तों को शेल्टर भेजने, सार्वजनिक जगहों की बाड़बंदी और मवेशी हटाने का आदेश दिया।
अब आगे क्या?
सरकारों के सामने कुत्तों के लिए शेल्टर बनाना, फंड और संसाधन जुटाना बड़ी चुनौती है। पशु प्रेमी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई और आंदोलन के संकेत दिए हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बहस और तेज हो सकती है।
