Supreme Court: आवारा कुत्तों पर 'महाबहस', सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

Supreme Court decision on stray dogs
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आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने से संबंधित मामले की सुनवाई की। दोनों पक्षों की तरफ जोरदार दलीलें रखी गईं।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने के मामले की सुनवाई की। शीर्ष न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले पर विवाद बढ़ाने की बजाए समाधान निकाला जाए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बंद नहीं करेंगे, सिर्फ देखेंगे कि फैसले के किस-किस हिस्से पर आपत्ति है। अदालत ने फिलहाल के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 11 अगस्त को आदेश दिया था कि सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों पर रखा जाए। इस आदेश के जारी होते ही दिल्ली में आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू हो गया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने आज इस मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई की।

'कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता'

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बच्चे मर रहे हैं। नसबंदी से रेबीज नहीं रुकता, भले ही आप उन्हें टीका लगा दें। इससे बच्चों का अंग-भंग होना नहीं रुकता। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि 2024 में देश में कुत्तों के काटने के 37 लाख मामले दर्ज हुए। उसी वर्ष रेबीज से 305 मौतें हुईं।

उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मॉडल के अनुसार यह संख्या कहीं ज्यादा है। कोई भी जानवरों से नफ़रत नहीं करता। लेकिन लोग बच्चों को घर से बाहर भेजने में डर रहे हैं। ऐसे में अदालत को इस मामले पर हस्तक्षेप करना होगा।

'फिर आवारा कुत्ते कहां जाएंगे'

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत के निर्देशों में कहा गया कि कुत्तों को नसबंदी के बाद नहीं छोड़ा जाएगा। ऐसे में कुत्ते कहां जाएंगे। ये नियमों के खिलाफ है और इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब शेल्टर होम में भारी संख्या में कुत्तों को रखा जाएगा तो वे एक दूसरे पर हमला करेंगे, जिससे इंसान भी प्रभावित होंगे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गुरुवार की शाम को अपलोड हुआ था, लेकिन इससे पहले ही सड़कों से कुत्तों को उठाना शुरू कर दिया गया। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि कुत्तों को सड़कों से उठाने के फैसले पर फिलहाल रोक लगनी चाहिए।

'समाधान होना चाहिए न कि विवाद'

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले को बंद नहीं किया जा रहा है। हम सिर्फ देखेंगे कि आदेश के किस-किस हिस्से पर आपत्ति है या उन पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर विवाद बढ़ने की बजाए समाधान निकालना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए फिलहाल के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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वरिष्ठ अधिवक्ता मनु सिंघवी ने किया विरोध

उधर, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में रखने के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि कुत्तों के काटने की घटनाएं तो होती हैं, लेकिन इस साल दिल्ली में रेबीज से एक भी मौत नहीं हुई। बेशक, कुत्तों का काटना बुरा है, लेकिन आप इस तरह की भयावह स्थिति पैदा नहीं कर सकते।

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