सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को बड़ी राहत, मिलेगी भारतीय नागरिकता

Supreme Court
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दिल्ली के मजनू का टीला में रह रहे 300 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। वकील विष्णु शंकर जैन की मानें तो इन्हें भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मजनू का टीला में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इन हिंदू शरणार्थियों को बेदखल करने पर रोक लगाई है। साथ ही, केंद्र सरकार और डीडीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मीडिया से बातचीत में वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष गया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार इस मामले में कोई भी स्पष्ट नीति नहीं बना पा रही है। नीति बनाने का काम कोर्ट का नहीं है। ऐसे में कोर्ट इससे संबंधित कोई भी प्रभावी आदेश नहीं दे सकती है। हालांकि महत्वपूर्ण बात यह है कि जब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष गया तो हिंदू शरणार्थियों को राहत मिली थी। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने इन हिंदू शरणार्थियों को बेदखल करने पर रोक लगा दी है।

पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को मिलेगी भारतीय नागरिकता

वकील विष्णु जैन ने बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत केंद्र सरकार की नीति के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान से आए सभी विस्थापित हिंदुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। जिस क्षण आप किसी को नागरिकता प्रदान करते हैं, संविधान का अनुच्छेद 21, जीवन और सम्मान का अधिकार, उस पर लागू हो जाता है।

यह है पूरा मामला

दिल्ली के मजनू का टीला में पाकिस्तान से आए 300 हिंदू शरणाार्थी पिछले कई सालों से रह रहे हैं। इन सभी को उम्मीद थी कि उन्हें भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। लेकिन लंबे अर्से के बाद भी यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। इसके चलते इन शरणार्थियों को टीन के शेड या टेंट लगाकर गुजारा करना पड़ रहा था। उन्हें डर रहता था कि पता नहीं कब उन्हें यहां से हटा दिया जाए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश

यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पहुंचा था। इस मामले पर गृह मंत्रालय ने कहा था कि उनके पुनर्वास का काम मंत्रालय के अधीन नहीं बल्कि डीडीए को करना है। वहीं नागरिकता के सवाल पर कहा था कि शरणाार्थी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। वकील विष्णु जैन के मुताबिक, हाईकोर्ट ने इस पर नीति बनाने से इनकार कर दिया था, लेकिन यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी कर दिया था।

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