Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के गेट के बाहर तोड़े नियम, मैनुअल सीवर क्लीनिंग के लिए PWD पर 5 लाख का जुर्माना

Supreme Court Decision on Manual Sewer Cleaning
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बिना सुरक्षा उपकरण सीवर साफ कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

Supreme Court: मैनुअल सीवर क्लीनिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली लोक निर्माण विभाग पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही नियमों का उल्लंघधन करने के कारण फटकार भी लगाई है।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। आरोप है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही गेट-F पर जल निकासी की सफाई के लिए मैनुअल सीवर क्लीनर्स को लगाया गया था। यह मैनुअल सीवर सफाई पर रोक लगाने वाले सर्वोच्च कोर्ट के फैसले का उल्लंघन था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने न केवल बिना सुरक्षा उपकरणों के मजदूरों को सीवर की सफाई के लिए लगाया, बल्कि एक नाबालिग को भी इस काम में शामिल किया। बता दें कि 18 साल से कम उम्र के नाबालिगों से काम कराना बाल श्रम अधिनियम के तहत एक अपराध है।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि अगर दोबारा नियमों का उल्लंघन किया गया, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना राशि एक महीने के अंदर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास जमा करानी होगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में अपने गेट के पास ही मैनुअल तरीके से सीवर सफाई का काम किए जाने पर संज्ञान लेते हुए पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा था।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान पीडब्ल्यूडी की तरफ से दिया गया जवाब भी देखा गया।

मामले में न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने अदालत को सूचित किया कि कुछ दंड लगाए जाने की जरूरत है, क्योंकि 2023 में अदालत द्वारा पारित निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस काम में जिन लोगों को लगाया गया, उनमें एक नाबालिग भी है।

उन्होंने दलील देते हुए कहा, 'इस बारे में तिलक नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की गई थी। पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, पीडब्ल्यूडी कार्रवाई नहीं करता है। वे कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करना चाहते थे। यह सिर्फ श्रम कानून का उल्लंघन नहीं है। वे कहते हैं, एक पत्र जारी किया गया, लेकिन वह पत्र कोई कारण बताओ नोटिस भी नहीं था। हैरान करने वाली बात ये है कि विभाग की तरफ से कहा गया कि कुछ भी गलत नहीं है।'

इस बारे में पीडब्ल्यूडी की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि ये सिर्फ खुले नालों से गाद निकालने का काम था, जहां पर कोई जहरीली गैसें नहीं थीं। इस पर न्यायमित्र ने हैरान होते हुए कहा कि जिस तरह से सरकार इस बात का बचाव कर रही है, वो हैरान करने वाला है।

बता दें कि ये मामला उन मजदूरों से जुड़ा है, जो नालों की सफाई करते हैं। कोर्ट को बताया गया कि मजदूरों से बिना सुरक्षा उपकरण पहनाए काम कराया जा रहा है, जो गलत है और कानून के खिलाफ है।

इस पर लोक निर्माण विभाग की तरफ से कहा गया कि वे सिर्फ ढके हुए नालों की सफाई करवा रहे हैं और कोई गैरकानूनी काम नहीं हो रहा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने ठेकेदारों को चेतावनी देने के लिए कुछ चिट्ठियां भेजी हैं।

इस पर अदालत ने कहा कि पिछली बार (20 अक्टूबर 2023) जो आदेश दिए गए थे, उनका ठीक से पालन नहीं किया गया। मजदूरों को बिना सुरक्षा के काम कराना बहुत गंभीर मामला है। ठेकेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, जैसे उन्हें चेतावनी देना या ब्लैकलिस्ट करना। इससे लगता है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं।

कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसी कोई दुर्घटना होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस बार तो हादसा नहीं हुआ, लेकिन अगली बार अगर ऐसा हुआ तो कोर्ट FIR का आदेश देगा। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को 5 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि एक महीने के अंदर ये पैसा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में जमा करना होगा। साथ ही उसने कहा कि अब सभी अधिकारियों को जाग जाना चाहिए। मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरण पहनाए काम पर लगाना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगली बार ऐसी लापरवाही पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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