Sonia Gandhi: 'सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिक बनने से पहले दो बार वोट दिया', कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

Sonia Gandhi Voter List Controversy
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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी। 

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ मतदाता सूची में नामांकन के लिए कथित जालसाजी से जुड़ी शिकायत पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ दायर याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। सोनिया गांधी के खिलाफ मतदाता सूची में नामांकन के लिए कथित जालसाजी से जुड़ी शिकायत पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही, अदालत ने कुछ सवालों के जवाब में भी फैसला सुरक्षित रखा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी के वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलें सुनी। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सोनी ने बताया कि सोनिया गांधी ने 1983 में भारतीय नागरिकता ली, लेकिन वे 1980 में ही बतौर मतदाता के रूप में पंजीकृत हो गई थीं। हमने इसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर की।

उन्होंने कहा कि संसद में हंगामे के कारण 1982 में उनकी मतदाता पहचान रद्द कर दी गई थी, लेकिन 1983 में भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत होने से पहले ही उनकी मतदाता पहचान को बहाल कर दिया गया था। इसका अर्थ यह है कि उन्होंने भारतीय नागरिक बनने से पहले दो बार भारत में अपना वोट दिया था। उन्होंने कहा कि मतदाता बनने के लिए कुछ अंडरटेकिंग और सबूत दिए होंगे... हम इसकी जांच चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग वोट चोरी का रोना रोते हैं, उनके घर में खुद चोर है।

अधिवक्ता विकास त्रिपाठी ने दिए ये तर्क

शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी के वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल किया गया था। उस वक्त वे भारतीय नागरिक नहीं थीं। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकता की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र का निवासी बन सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वे नागरिक थीं तो 1982 की मतदाता सूची में उनका नाम क्यों हटाया गया।

उन्होंने कहा कि उस समय सोनिया गांधी के अलावा राजीव गांधी का नाम भी हटाया गया था, जिनकी विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी। उन्होंने कहा कि आयोग को कुछ अनियमितताएं नजर आई होंगी, जिसकी वजह से नाम हटाया गया होगा। लेकिन, भारतीय नागरिकता मिलने से पहले ही उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया गया। उन्होंने इसे जालसाजी और सार्वजनिक प्राधिकरण के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया।

उन्होंने अनुरोध किया कि इस मामले में पुलिस को उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। अदालत ने इस कथित जालसाजी से जुड़ी शिकायत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके अलावा कुछ सवालों के जवाब पर भी आदेश सुरक्षित रखा गया है।

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