दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई: सीरियल किलर 'डॉक्टर डेथ' का साथी राजेंद्र 21 साल बाद गिरफ्तार, जानें दोनों की क्राइम हिस्ट्री

सीरियल किलर डॉक्टर डेथ का साथी राजेंद्र 21 साल बाद गिरफ्तार, जानें दोनों की क्राइम हिस्ट्री
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100 मर्डर करने वाले डॉक्टर डेथ का साथी गिरफ्तार।

Doctor Death Partner Arrest: डॉक्टर डेथ के नाम से मशहूर सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा के साथी को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी को अलीगढ़ से अरेस्ट किया है। पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई में जुटी है।

Doctor Death Partner Arrest: 100 से ज्यादा हत्या की वारदात को अंजाम देने वाला सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉक्टर डेथ के फरार गुर्गे राजेंद्र उर्फ राजुआ को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा जा रहा है कि राजुआ पुलिस को 21 सालों से चकमा दे रहा था। पुलिस ने राजुआ को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि सरिता विहार में राजेंद्र के खिलाफ हत्या, अपहरण, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज है। अदालत ने इस मामले में राजेंद्र को भगोड़ा अपराधी घोषित किया था।

पैरोल के बहाने देवेंद्र फरार हो गया था

पुलिस का कहना है कि राजेंद्र, देवेंद्र शर्मा का करीबी था। कुख्यात सीरियल देवेंद्र को किलर और आयुर्वेद चिकित्सक शर्मा को 'डॉक्टर डेथ' के नाम से भी जाना जाता है। 2023 में पैरोल से फरार होने के बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। देवेंद्र शर्मा लोगों की हत्या करके उनके शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों से भरे हजारा नहर में फेंकने के लिए जाना जाता है। देवेंद्र को दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हत्या के सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और यहां तक ​​कि गुरुग्राम की एक अदालत ने एक मामले में उसे मृत्युदंड की सजा भी सुनाई थी।

वाहन चालकों की हत्या
पुलिस के मुताबिक देवेंद्र शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक ड्राईवरों की नृशंस हत्या के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। शर्मा और उसका साथी राजेंद्र फर्जी यात्री बनकर चालकों को फंसाते थे, उसके बाद उनकी हत्या कर देते थे और उनके वाहनों को बेच देते थे। इसके बाद सबूत मिटाने के लिए शवों को हजारा नहर में फेंक दिया जाता था, जिसमें मगरमच्छ रहते थे।


अवैध किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह भी चलाया
पुलिस ने बताया कि डॉ डेथ ने 1990 और 2000 की शुरुआत में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का गिरोह भी चलाया था। उसने डॉक्टरों और दलालों की मदद से 125 से ज्यादा अवैध ट्रांसप्लांट कराने की बात कबूल की है। उन्होंने बताया कि शर्मा ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि 2000 के शुरू में सक्रिय उसके अपराध गिरोह का प्रमुख संचालक राजेंद्र फरार था। जिसके बाद पुलिस टीम ने अलीगढ़, जयपुर और दिल्ली समेत कई शहरों में राजेंद्र की तलाश शुरू कर दी थी।

अलीगढ़ में पहचान छिपाकर रह रहा था राजेंद्र

पुलिस को सूचना मिली की राजेंद्र अलीगढ़ के कासिमपुर में है। झूठी पहचान के साथ एक स्थानीय पंप हाउस में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा है। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को अरेस्ट कर लिया था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि राजेंद्र, शर्मा और गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ कई हत्याओं में शामिल था, पुलिस पूछताछ में राजेंद्र ने बताया कि वह 2003 में एक निजी विवाद के बाद शर्मा के गिरोह में शामिल हो गया था। पुलिस की इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई चल रही है।

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