Sawan Shivratri: सावन शिवरात्रि... काेई मन्नत अधूरी नहीं रहती, करें इस प्राचीन शिव मंदिर का दर्शन

Ancient Shiva Temple Near Delhi
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नलहेश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि पर लगता है मेला
दिल्ली के पास ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है, जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। कहा जाता है कि यहां मांगी गई मन्नत अधूरी नहीं रहती है। शिवरात्रि पर यहां भव्य मेला लगता है।

सावन शिवरात्रि कल 23 जुलाई को धूमधाम से मनाई जाएगी। हरिद्वार से कांवड़ लाने वाले ज्यादातर कांवड़िये अपने गांव और शहरों तक पहुंच चुके होंगे। पांचांग के अनुसार, जलाभिषेक के लिए शुभ समय सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही, मंदिर 'जय भोले' के उद्घोषों से गूंज उठेंगे। इस दिन भक्त जहां व्रत रखते हैं, वहीं शिव मंदिरों के भी दर्शन करते हैं। आज हम आपको ऐसे प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सीधा संबंध श्रीकृष्ण से है।

नलहरेश्वर महादेव मंदिर, नूंह

महादेव का यह प्राचीन मंदिर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। शिवरात्रि पर इस मंदिर में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ती है। इसके इतिहास की बात करें तो यहां करीबन 5000 साल पुराने शिवलिंग मिले थे। यहां 500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर कदम का पेड़ है। बताया जाता है कि इस पेड़ की जड़ों में कुंडली बनी है, जिसका जल कभी भी कम नहीं होता है। कदम के इस पेड़ तक पहुंचने के लिए 287 सीढ़ियां बनाई गई हैं। भक्त भोलेनाथ के दर्शन करके कदम के पेड़ से बहने वाले पानी को बर्तन में भरकर घर ले जाते हैं।

भगवान कृष्ण से गहरा संबंध

मान्यता यह है कि भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध को रुकवाने के लिए पांडवों और कौरवों को इसी स्थान पर बुलाया था। भगवान कृष्ण के कदम जहां भी पड़े, उनके निशान कदम के पड़ों के रूप में रह गए। कहा जाता है कि शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है। दूर-दूर से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। अगर इस सावन की शिवरात्रि पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप नलहरेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

दिल्ली के पास स्थित है नलहरेश्वर मंदिर

नलहरेश्वर महादेव मंदिर दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर नूंह शहर में स्थित है। यहां से आप अरावली पर्वत की सुंदरता भी देख सकते हैं। प्रदेश सरकार की ओर से इइस स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना पर विचार कर रही है। अगर यह स्थान पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो जाता है तो श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल जाएंगी।

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