डॉक्टरों का कमाल: महिला के पेट से निकाला 10.6 kg का ट्यूमर, 8 महीने से थी परेशान

Safdarjung Hospital Doctors removed huge tumor from patient stomach
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सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज के पेट से निकाला बड़ा ट्यूमर। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Safdarjung Hospital: सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने एक महिला मरीज के पेट से 10.6 किलो का ट्यूमर निकालने में कामयाबी हासिल की है। महिला पिछले 8 महीने से परेशान थी।

Safdarjung Hospital: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है। सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने 65 साल की बुजुर्ग महिला के पेट की सर्जरी कर 10.6 किलो का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की है। जानकारी के मुताबिक, महिला के पेट में यह ट्यूमर पिछले 8 महीने से था, जो पूरे पेट में फैला हुआ था। ट्यूमर ने पेट दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था।

अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक सर्जरी करके ट्यूमर को बाहर निकाला। इस सर्जरी में 6 घंटे से ज्यादा का समय लगा। महिला मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है और मेडिकल ऑन्कोलॉजी टीम उनकी निगरानी कर रही है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर क्या है?

सफदरजंग अस्पताल के सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिवानी बी. परुथी ने जानकारी देते हुए बताया कि मरीज को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (GIST) था। यह ट्यूमर पेट का रेयर कैंसर है, जो पाचन तंत्र से जुड़े आईसीसी (इंटरस्टीशियल सेल्स आफ काजल) से शुरू होता है। उन्होंने बताया कि ट्यूमर पूरे पेट में फैल गया था, जो एक्सटर्नल एक्सटर्नल इलिएक वेसल्स को नुकसान पहुंचा रहा था।

इसके कारण मरीज को राइट हाइड्रोनेफ्रोसिस हो रहा था। ट्यूमर काफी बड़ा था, जिससे उसे निकालना काफी चुनौती भरा था। हालांकि पूरी टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी कर ट्यूमर बाहर निकाला। इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ. शिवानी बी. परुथी ने किया।

अस्पताल के लिए बड़ी उपलब्धि

सफदरजंग अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि यह उपलब्धि अस्पताल में मेडिकल एडवांसमेंट का प्रतीक है। मरीज के शरीर से इतने बड़े GIST ट्यूमर को निकाला गया, जो टीमवर्क और समर्पण का नतीजा है। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर इस तरह की जटिल सर्जरी में इसी तरह आगे बढ़ते रहेंगे।

दो महीने तक दी गई कीमोथेरेपी

जानकारी के मुताबिक, महिला मरीज काफी समय से इलाज के लिए कई अस्पतालों में भटकने के बाद सफदरजंग अस्पताल पहुंची। शुरुआत में उन्हें मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में रखा गया, जहां पर डॉक्टरों द्वारा कीमोथेरेपी देकर ट्यूमर को छोटा करने की कोशिश की गई है। हालांकि दो महीने में इसका कोई खास फायदा देखने को नहीं मिला। इसके बाद मरीज को सर्जरी के लिए सर्जरी विभाग में ट्रांसफर किया गया, जहां पर डॉक्टरों की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक सर्जरी की।

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