सुप्रीम टिप्पणी: 'अच्छी सड़कें हमारा मौलिक अधिकार', SC ने कहा- इनका निर्माण-मरम्मत सरकार खुद करे

Right to safe motorable good conditioned roads
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सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित और सुव्यवस्थित सड़कों को लेकर की अहम टिप्पणी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षित और सुव्यवस्थित सड़कों को लेकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के रूप में मान्यता देता है। इसलिए, सरकार को यह जिम्मेदारी स्वयं लेनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी सड़कों को जनता का मौलिक अधिकार बताया है। कहा कि सड़क निर्माण या मरम्मत का ठेका किसी निजी कंपनी को देने की बजाए राज्य को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक ठेका कंपनी की ओर से MPRDC (मध्य प्रदेश सरकार का उपक्रम) के खिलाफ याचिका की सुनवाई के दौरान दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने कहा कि संविधान की अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत कुछ परिस्थितियों में अपवादों और प्रतिबंधों के साथ देश के किसी भी हिस्से में पहुंचने का मौलिक अधिकार है। सुरक्षित और सुव्यवस्थित सड़कों के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के रूप में मान्यता देता है। ऐसे में सरकार को अपने नियंत्रण में आने वाली सड़कों का निर्माण, मरम्मत और रखरखाव इत्यादि कार्य स्वयं करने चाहिए।

कंपनी के खिलाफ याचिका सुनवाई के योग्य

दरअसल, मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MPRDC) ने सड़क निर्माण का ठेका देने वाली एक कंपनी के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिससे व्यथित इस कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि उसके खिलाफ हाईकोर्ट में उसके खिलाफ याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती।

अदालत में सवाल उठा कि अगर राज्य सरकार स्वयं सड़क निर्माण का ठेका देती है, तो क्या उसके खिलाफ याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए या नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस महादेवन ने लिखित निर्णय में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा। कहा कि अपीलकर्ता की निजी स्थिति के बावजूद याचिका सुनवाई योग्य है क्योंकि यह विवाद सार्वजनिक कार्य अर्थात सड़क विकास से संबंधित है। शीर्ष न्यायालय ने सरकार को आगाह किया कि सड़क विकास और रखरखाव जैसे कार्य ठेका कंपनी को देने की बजाए स्वयं इसकी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।

हाईकोर्ट करेगी मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाले निगम सड़कें बिछाने का कार्य निजी पार्टी को सौंपता है और निजी पार्टी इस काम को करता है, तो यह कार्य सार्वजनिक कार्य के स्वरूप में आ जाता है। ऐसे में हाईकोर्ट में इस याचिका की सुनवाई के योग्य है। बता दें कि UMRI POOPH PRATAPPUR (UPP) TOLLWAYS PVT. LTD ने एमपीआरडीसी की याचिका हाईकोर्ट में स्वीकार होने पर इस खारिज करने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।

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