Delhi Boating: अक्टूबर से पुराने किले में शुरू होगी बोटिंग, परिवार संग ले सकेंगे पिकनिक का मजा

दिल्ली के पुराने किले में अक्टूबर से होगी बोटिंग
Purana Quila Delhi Boating: दिल्ली के पुराने किले में लगभग 10 साल बाद एक बार फिर से बोटिंग शुरू होने जा रही है। दिल्लीवासी अक्टूबर माह से यहां बोटिंग का आनंद ले सकेंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इसकी पुष्टि की गई है। जानकारी के अनुसार, पहले यहां पर अस्थाई रूप से बोटिंग की जाती थी, लेकिन उसे बंद कर दिया गया था।
बता दें कि लगभग 10 साल पहले तक दिल्ली के पुराने किले में मौजूद झील में बोटिंग होती थी। इसे बंद करने का कारण यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या कम होना था। किले के ठीक बगल में एक चिड़ियाघर है, जो अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। इसके कारण पर्यटकों का रुख एक बार फिर से पुराने किले की तरफ हो गया है। उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। जब तक चिड़ियाघर चालू था, तब तक पर्यटक अपने परिवार और बच्चों के साथ यहीं आना ज्यादा पसंद करते थे। किले में बढ़ती भीड़ को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां की झील में बोटिंग फिर से शुरू करने का फैसला किया है।
कब से शुरू होगी बोटिंग
पुराने किले में मौजूद झील हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। जानकारी के लिए बता दें कि यह बोटिंग सितंबर माह से शुरू होनी थी, परन्तु इसके परिसर में निर्माण कार्य में देरी के चलते इसे रद्द कर दिया गया था। अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब बोटिंग अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू की जा सकती है। अभी बोटिंग का किराया और समय तय नहीं किया गया है। उम्मीद है बोटिंग करने के लिए ज्यादा चार्ज नहीं देना होगा, ताकि हर व्यक्ति बोटिंग का मजा ले पाए।
झील का नजारा
यहां बोटिंग करने का अनुभव पर्यटकों के लिए खास हो सकता है, क्योंकि किले के चारों ओर बनी ऊंची-ऊंची दीवारें और हरे-भरे पेड़ झील की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। ऐसे दृश्य लोगों को खूब लुभाते हैं। यहां पर आप अपने परिवार, बच्चों और दोस्तों के साथ जा सकते हैं। ऐसी जगह जाने पर आपको इतिहास से जुड़ी चीजें जानने का मौका मिलता है।
पुराने किले का इतिहास
दिल्ली का पुराना किला यहां के सबसे पुराने किलों में से एक है। इस किले के इतिहास को महाभारत काल और पांडवों से जोड़ा जाता है। इस कारण यह किला पांडव किला कहलाता है। शेरशाह सूरी और हुमायूं के शासनकाल में अनेक इमारतों और झीलों का निर्माण करवाया गया था। पुराने किले में बनी कृत्रिम झील भी इन्हीं निर्माण कार्यों में से एक है। यह झील किले के अंदर बनाई गई है। अब इस झील को एक बार फिर से आम जनता के लिए खोला जा रहा है।
