रोहिग्याओं की आड़ में बेकसूर भी फंसे?: गुरुग्राम में प्रवासी श्रमिकों से 'अमानवीय' व्यवहार, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त

Punjab Haryana High Court
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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों के लिए बनाई गई एसओपी मांगी। 

दिल्ली एनसीआर में अवैध रूप से रहने वाले रोहिग्याओं को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चला था। आरोप है कि इस दौरान भारतीय श्रमिकों से भी अमानवीय व्यवहार हुआ था।

दिल्ली-एनसीआर में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों और रोहिग्याओं को पकड़ने के दौरान 'प्रवासी श्रमिकों' से भी अमानवीय व्यवहार किया गया। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार से पूछा कि प्रवासी मजदूरों के सत्यापन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मौजूद हैं। अगर हां तो इसे रिकॉर्ड पर रखें। उन्होंने इसके लिए हरियाणा सरकार को हलफनाम दाखिल करने का निर्देश देकर मामले को अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया।

गुरुग्राम पुलिस पर अमानवीय व्यवहार का आरोप

दरअसल, एक वकील ने जनहित याचिका दायर कर अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए समान प्रक्रिया तैयार करने के निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि गुड़गांव पुलिस ने अल्पसंख्यक भाषाई आधार पर उन श्रमिको को विदेशी बताकर हिरासत में ले लिया, जिनके पास आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज उपलबध थे।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि इन प्रवासी श्रमिकों को 200 से 300 के समूह में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में हिरासत में रखा। उनके पास परिजनों और वकीलों तक पहुंच नहीं थी। हैरानी की बात रही कि जब पश्चिम बंगाल की ग्राम पंचायतों ने स्पष्ट किया कि बंदी पश्चिम बंगाल के नहीं बल्कि भारतीय हैं। लेकिन इसके बाद भी इन श्रमिकों को हिरासत में रखा गया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को भी पहले से सत्यापन प्रक्रिया लागू करनी चाहिए, लेकिन या तो यह मौजूद नहीं है या तो इसका उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर भी उल्लेखित मानक संचालन प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है। ऐसे में उन्होंने प्रवासी श्रमिकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी तैयार करने के निर्देश देने की मांग की है।

हरियाणा की तरफ से दिया गया यह तर्क

हरियाणा के वकील ने तर्क देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर ही राज्य पुलिस ने कार्रवाई की थी। दलील दी कि अवैध निवासियों की तलाश में गुरुग्राम में सर्च ऑपरेशन चलाए गए। उन्होंने कहा कि जिनके पास राष्ट्रीयता साबित करने के वैध प्रमाण पत्र नहीं थे, उन्हें ही गृह मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए हिरासत केंद्रों में रखा गया। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि एसओपी रिकॉर्ड में पेश करना होगा या हलफनामे के माध्यम से बताएं कि ऐसी एसओपी बनाई गई है या नहीं।

हाईकोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्देश दिया कि अगर प्रवासी श्रमिकों के लिए एसओपी बनाई गई है, तो उसे पटल रखना होगा। साथ ही, हरियाणा सरकार को हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करने को कहा है कि क्या गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर एसओपी मौजूद है या नहीं, अगर हां तो उसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। हाईकोर्ट ने अब आगामी तिथि तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है।

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