भड़काऊ भाषण देने का मामला: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज की CIFS कांस्टेबल की याचिका

Punjab Haryana High Court
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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सीआईएफएस कांस्टेबल की याचिका की खारिज। 

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है, इसके साथ उचित प्रतिबंध भी जुड़े हैं।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है, इसके साथ उचित प्रतिबंध भी जुड़े हैं। विशेषकर जब यह घृणापद भाषण की सीमा पर हो या सार्वजनिक शांति के लिए खतरा हो। हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को बरकरा रखा, जिसने धार्मिक सभा में भड़काऊ भाषण दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने कहा कि अनुशासित सशस्त्र बल के सदस्य सार्वजनिक आचरण और जिम्मेदारी के संदर्भ में सामान्य नागरिक नहीं हैं। राष्ट्र की अखंडता, सुरक्षा और एकता बनाए रखने में केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि नैतिक भूमिका होती है। वर्दी के अंदर और बाहर अत्यंत संयम, निष्पक्षता और गरिता के साथ आचरण करने का भी दायित्व बढ़ता है।

न्यायालय ने आगे कहा कि अगर कोई अधिकारी किसी सभा को ऐसे संबोधित करता है, जिसे धार्मिक रूप से उत्तेजक माना जा सकता है, तो यह पेशेवर अनुशासन ही नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों के साथ भी विश्वासघात होता है। हाईकोर्ट ने कहा कि जोर दिया गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, हालांकि यह पूर्ण नहीं है, इसके साथ उचित प्रतिबंध भी जुड़े हैं। हाईकोर्ट ने सीआईएसएफ कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को बरकरार रखा है।

यह है पूरा मामला

सीआईएसएफ कांस्टेबल गुरनाम सिंह ने छुट्टी ली थी। इसके बाद गांव पहुंचा, जहां उसने एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। गांव के नंबरदार मुकेश कुमार ने 12 जुलाई 2009 को शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पंजाब खुफिया विभाग ने सीआईएसएफ अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी। इसके बाद विभागीय जांच शुरू हुई, जिसमें जांच अधिकारी ने गुरनाम सिंह को निर्दोष करार बताया।

इसके बावजूद अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने असहमति जताते हुए एक जांच के लिए उनके वेतन में एक प्रतिशत की कटौती का दंड लगाया था। बाद में सजा को और बढ़ा दिया गया। इस कार्यवाही को चुनौती देते हुए न्यायालय में चुनौती दी गई थी, लेकिन तमाम पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी है।

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