DUSU Election 2025: 'डूसू चुनाव लड़ने के लिए एक लाख रुपये का बॉन्ड अनिवार्य', डीयू के इस फैसले से छात्र आक्रोशित

Delhi University
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दिल्ली विश्वविद्यालय।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले का विरोध करते हुए छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर, डीयू प्रबंधन ने भी इस फैसले के पीछे की खास वजह बताई है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के चुनावों को लेकर बवाल मच गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इन चुनावों के लिए नामांकन भरने के लिए ऐसी शर्त लगा दी है, जिससे स्टूडेंट्स में खासी नाराजगी है। गुस्साए छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। तो चलिये बताते हैं कि डीयू ने ऐसी क्या शर्त लगा दी, जिसका चौतरफा विरोध हो रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय ने डीयूएसयू चुनाव के लिए नामांकन भरने के लिए एक लाख रुपये बॉन्ड भरने की शर्त लगाई है। मतलब यह है कि अगर कोई स्टूडेंट चुनाव लड़ना चाहता है तो उसके पास एक लाख रुपये होने चाहिए। अगर यह राशि नहीं है, तो फिर चुनाव नहीं लड़ पाएगा। छात्र संगठनों ने पहले यूनिवर्सिटी प्रबंधन से इस शर्त को वापस लेने की अपील की। जब मांग स्वीकार नहीं हुई तो छात्र धरने पर बैठ गए।

छात्र कहां से लाएंगे एक लाख रुपये

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के बैनर तले चल रहे धरना प्रदर्शन में छात्र भारी संख्या में शामिल हो रहे हैं। धरना के दौरान जमकर नारेबाजी की जा रही है। छात्रों का कहना है कि एक लाख रुपये का बॉन्ड भरने की शर्त दर्शाती है कि पैसों के दम पर कोई भी चुनाव जीत सकता है। जबकि विवि प्रबंधन को ऐसी मिसाल पेश करनी चाहिए थी ताकि पैसे न हो तो भी चुनाव लड़ सके।

डीयू प्रबंधन ने रखा पक्ष

मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से बताया है कि एक लाख रुपये का बॉन्ड इसलिए भरवाया जा रहा है ताकि चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंच सके। विवि प्रबंधन ने कहा कि यह फीस नहीं है बल्कि एक सिक्योरिटी अमाउंट है।

कब होगा डूसू चुनाव

दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन का चुनाव 18 सितंबर को प्रस्तावित है। छात्र लंबे समय से इस डेट का इंतजार कर रहे थे। डेट का ऐलान होने से पहले ही छात्रों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थी। लेकिन, एक लाख के बॉन्ड की शर्त ने चुनाव लड़ने की चाह रखने वाले कई छात्रों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब देखना होगा कि विवि प्रबंधन और छात्र संगठनों के बीच इस शर्त को लेकर मचा बवाल कैसे शांत होता है।

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