E-Buses: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ई-बसें चलाने में हो रही देरी, जानें क्या है वजह?

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E-Buses: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में 500 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है। हालांकि इस योजना के शुरू होने में पेंच फंस रहे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से देरी की जा रही है। आइए जानते हैं इसकी वजह...

E-Buses: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण तीनों प्राधिकरण मिलके 500 ई-बसें चलाने की एक योजना बना रहे थे। लेकिन यह योजना अब अटक गई है। इस योजना के तहत 500 में से 300 बसें नोएडा में और बाकी 100 बसें ग्रेटर नोएडा और 100 बसें यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में चलेंगी। इन बसों को 25 रूटों पर चलाए जाने के लिए प्रस्ताव पास हुआ है।

आखिर क्यों हो रही है देरी?

इन बसों को चलाने के लिए के एक 'विशेष परियोजना वाहन' का गठन होना है। इन बसों को चलाने के लिए तीनों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण) प्राधिकरणों की मंजूरी की जरूरत है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से दिए जाने वाले कागजात अब तक मुहैया नहीं कराए गए हैं, जिसके कारण इस परियोजना को जमीनी स्तर पर लाने में देरी हो रही है।

दो एजेंसियों का होगा चयन

बसों को चलाने के लिए शासन द्वारा दो एजेंसियों का चयन कर दिया गया है। इसके लिए ट्रेवल टाइम मोबिलिटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और डेल बस मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी का चयन है। पहली एजेंसी ट्रेवल टाइम मोबिलिटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आने वाली बसें 9 मीटर लंबी होंगी। ये बसें 54.90 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से चलेंगी। दूसरी एजेंसी की डेलबस मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की बसें 12 मीटर लंबी होंगी। कंपनी इन बसों को चलाने के लिए 67.99 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से चार्ज करेगी। इन बसों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी नोएडा प्राधिकरण की होगी, जो 48 फीसदी होगी। वहीं ग्रेटर नोएडा की हिस्सेदारी 26 फीसदी और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भी 26 फीसदी की हिस्सेदारी होगी।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने क्यों नहीं दे रहा दस्तावेज?

इन बसों के संचालन के लिए तीनों प्राधिकरणों के सीईओ-एसीईओ स्तर के अधिकारियों की तरफ से एक समिति के रूप में एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) का गठन किया जाएगा। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने ग्रेटर नोएडा और यीडा से दो महीने पहले ही कागजात मांगे थे। एसपीवी ने नोएडा और यीडा से कागजात ले लिए हैं लेकिन इस परियोजना के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एसपीवी को अभी तक दस्तावेज नहीं दिए हैं। ऐसा माना जा रहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एक साथ 100 बसें चलाने के लिए तैयार नहीं है। इन बसों को एक साथ चलाने से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को काफी घाटा होगा। इसी वजह से अब तक दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं।

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