NGT Decision: दिल्ली, यूपी-हरियाणा... गंगा-यमुना को प्रदूषित करने वाले उद्योगों पर कसेगा शिकंजा

नदियों में अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों के खिलाफ एनजीटी सख्त।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा और यमुना नदियों समेत अन्य जल निकायों में अपशिष्ट डालने वाले उद्योगों को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही यूपी, हरियाणा, बिहार और दिल्ली के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि नदियों और जल निकायों में अपशिष्ट डालने वाले सभी अत्याधिक प्रदूषणकारी उद्योग (जीपीआई) में तुरंत ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) स्थापित करें। ओसीईएमस ऐसी प्रणाली है, जिससे उद्योगों द्वारा छोड़े जाने वाले अपशिष्ट जल की गुणवत्ता और मात्रा पर निगरानी रखी जा सके।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को यह सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है कि जीपीएस में चूक नहीं होनी चाहिए। अत्याधिक प्रदूषणकारी उद्योगों में बिना देरी के ओसीईएमएस स्थापित किया जाए। न्यायाधिकरण ने सीपीसीबी के अध्यक्ष को आवेदक के दिनांक 08.03.2025 के अभ्यावेदन पर विधिवत विचार करने और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और दिल्ली के पीसीबी/पीसीसी को उपरोक्त जीपीआई में ओसीईएमएस की स्थापना सुनिश्चित करने और निगरानी करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किया।
न्यायाधिकरण ने राज्यों के स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिवों को दो महीने के भीतर सीपीसीबी को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। जबकि सीपीसीबी को इसके एक महीने के भीतर चूक करने वाले उद्योगों के खिलाफ सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
बता दें कि यह आदेश मोहम्मद इमरान अहमद द्वारा दायर एक आवेदन के जवाब में दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और दिल्ली में 1,700 से अधिक उद्योग सीपीसीबी के निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं। ये उद्योग गंगा और यमुना नदियों सहित प्रमुख जल निकायों में अशोधित अपशिष्टों को छोड़ रहे हैं, जिससे गंभीर पर्यावरणीय क्षति हो रही है। इस पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नदियों और जल निकायों में अपशिष्ट डालने वाले सभी अत्याधिक प्रदूषणकारी उद्योगों में ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया।
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