Delhi Rain: दिल्ली के लिए मानसून की बारिश अभिशाप या वरदान, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

Monsoon rain boon or curse for Delhi
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दिल्ली में मूसलाधार बारिश के बावजूद पेयजल संकट

दिल्ली में हर साल करीब 775 एमएम बारिश होती है, वहीं यमुना में भी बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। लेकिन, दिल्ली जल बोर्ड की एक लापरवाही से राजधानी हर बार प्यासी रह जाती है।

देशभर में मानसून की बारिश कहर बरपा रही है। पहाड़ों पर जहां भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं मैदानी इलाके बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। राजधानी दिल्ली में भी यमुना पूरे उफान पर चल रही है, जिसके चलते कई इलाकें जलमग्न हो चुके हैं। सभी सवाल उठा रहे हैं कि हर मानसून दिल्ली के लिए अभिशाप बन जाता है, लेकिन यह सच नहीं है। अगर सही कदम उठाए जाएं तो यह मूसलाधार बारिश दिल्ली के लिए वरदान भी साबित हो सकती है। तो चलिये बताते हैं इस दावे के पीछे की वजह...

मानसून दिल्ली के लिए हो सकता है वरदान

दिल्ली में रहने वाले लोग जानते हैं कि हर गर्मी में पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। कारण यह है कि यमुना में पानी का स्तर बेहद निचले स्तर पर चला जाता है। वहीं, भूमिगत जल स्तर भी तेजी से नीचे जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि 2020 से 2025 के बीच राजधानी में वर्षा जल संचयन की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। वर्तमान में दिल्ली का भूजल स्तर 20 मीटर नीचे तक जा चुका है। इस भूजल स्तर में सुधार के लिए वर्षा जल संचयन बेहद जरूरी है, लेकिन इस दिशा में कभी भी सरकारी प्रयास कागजों से निकलकर धरातल पर नजर नहीं आए।

ड्रेनेज मास्टर प्लान नहीं हुआ लागू

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में वर्षा जल संचयन के लिए 2018 में आईआईटी दिल्ली के सहयोग से ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार किया गया था। लेकिन, आज तक यह प्लान पूरी दिल्ली में लागू नहीं हो सका। ज्यादातर फ्लाईओवरों में वर्षा के पानी को संग्रहित करने के लिए व्यवस्था नहीं हो पाई है। इस वजह से बारिश का पानी सड़कों पर बह जाता है। वहीं 2020 में चार हजार इमारतों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए, लेकिन इनमें से 70 फीसद सिस्टम खराब पड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मास्टर प्लान बनाकर मानसून की बारिश का संग्रहित किया जाए तो न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा बल्कि पेयजल संकट से भी काफी हद तक खत्म होता चला जाएगा।

अभिशाप को वरदान बदलने में DJB नाकाम

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की मई 2025 की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली जल बोर्ड रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में पिछड़ रहा है। बताया गया था कि 9172 स्थानों पर यह सिस्टम लगाने की योजना थी, लेकिन अभी तक 7599 जगहों पर ही यह व्यवस्था हो पाई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पहले से जो सिस्टम लगे हैं, उनमें से 720 सिस्टम खराब पाए गए हैं। अगर इस रिपोर्ट को देखा जाए तो मानसून की बारिश दिल्ली के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान बन जाती।

वर्षा जल संचयन के लिए नए दिशा-निर्देश

दिल्ली जल बोर्ड ने चार दिन पहले रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को वर्षा जल संचयन के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दिए हलफनामे में बताया कि 31 जुलाई को संयुक्त विशेषज्ञ समिति की बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि वर्षा के जल को प्रथम प्रवाह को गड्ढों में जाने से बचाने के लिए विभाजक लगाए जाएं ताकि जमीनी प्रदूषण इसमें मिल न सकें। डीजेबी ने स्पष्ट किया कि वर्षा जल संचयन के लिए बनाए गए गड्ढों पर खासा ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि वर्षा जल प्रदूषित न हो। इसके अलावा, सड़कों पर जलभराव रोकने के लिए भी निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं।

उधर, डीएमआरसी ने भी दावा किया था कि जिस भी मेट्रो स्टेशन के पास पानी जमा होता है, वहां के वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए गड्ढे बनाए गए हैं। इन दावों को देखकर लगता है कि वर्षा जल संचयन की दिशा में प्रयास शुरू हो चुके हैं, लेकिन यह दावे रंग लाएंगे या नहीं, अगले साल की मानूसन बारिश ही इसका सटीक जवाब दे सकती है।

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