MCD Delhi: एमसीडी आवारा कुत्तों की नसबंदी से होगी कंगाल? 'सुप्रीम' आदेश से बढ़ी चिंता

आवारा कुत्तों को लेकर दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड का अहम आदेश।
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर डॉग शेल्टर होम में रखने के आदेश में संशोधन कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के अपने निर्देश में संशोधन कते हुए कहा है कि आवारा कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद ही आश्रय स्थलों में छोड़ा जाए। इस आदेश का मतलब यह है कि गली के आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद गली में ही छोड़ा जाए। इस आदेश से डॉग लवर्स में खुशी की लहर है। लेकिन, इस आदेश से दिल्ली नगर निगम की परेशानियां बरकरार हैं। आगे जानिये?
रोजाना खर्च करने पड़ते 3 करोड़ रुपये
दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या 10 लाख के आसपास है। अभी तक एमसीडी बेसहारा गायों के लिए चारे और रखरखाव के लिए प्रति गाय 40 रुपये खर्च कर रही है। अगर लावारिस कुत्तों के खाने पीने और रखरखाव को शामिल कर लिया जाए तो कुत्तों की संख्या के हिसाब से रोजाना 3 करोड़ रुपये का खर्चा आना स्वाभाविक है। अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से यह परेशानी का हल हो गई है, लेकिन दूसरी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
कुत्तों की नसबंदी कर देगी कंगाल
पहले ही बता चुके हैं कि दिल्ली में दस लाख आवारा कुत्ते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही वापस गली में छोड़ दिया जाए। अगर नसबंदी की ही बात करें तो यह खर्चा 3000 रुपये से लेकर 25000 रुपये तक है। अगर 3000 रुपये की राशि को ही पकड़ लिया जाए तो करीब 3 अरब रूपये खर्च होंगे, जो कि एमसीडी के लिए एक बड़ी राशि है।
आवारा कुत्तों को लेकर सर्वे नहीं
खास बात है कि 2016 के बाद से दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या पता लगाने के लिए किसी तरह का सर्वे नहीं हुआ है। अभी जो 10 लाख की संख्या बताई जा रही है, वह अनुमान पर आधारित है। इसका मतलब यह नहीं कि आवारा कुत्तों की संख्या 10 लाख से कम होगी। अगर यह संख्या 10 लाख से ज्यादा है, तो उतना ही ज्यादा खर्चा एमसीडी की भुगतना पड़ेगा।
एनसीआर के शहरों में भी यही स्थिति
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा जैसे शहरों में भी आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर सटीक डेटा उपलब्ध नहीं बताया जा रहा है। चूंकि आवारा कुत्तों पर आदेश पूरे दिल्ली एनसीआर के लिए लागू हैं, लिहाजा संबंधित नगर निगमों को भी आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर खर्च करना होगा, जिससे बजट का गड़बड़ाना निश्चित है।
