Karol Bagh: इस इलाके के नाम पर बना सीरियल, नाम और इतिहास के पीछे छिपी हैं कई कहानियां

इस इलाके के नाम पर बना सीरियल, नाम और इतिहास के पीछे छिपी हैं कई कहानियां
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दिल्ली करोल बाग इलाका

Karol Bagh: दिल्ली का करोल बाग इलाका अपने आप में ही बेहद खास है। वर्तमान समय में यहां पर कई मार्केट, कोचिंग संस्थान आदि हैं। लेकिन इतिहास के मामले में करोल बाग को दिल्ली की विरासत कहा जा सकता है।

Karol Bagh: कुछ समय पहले एक सीरियल आया 12/24 करोल बाग, जो काफी मशहूर हुआ। इसमें एक परिवार की कहानी दिखाई गई थी। वैसे तो दिल्ली का करोल बाग इलाका अपने आप में ही बहुत मशहूर है लेकिन इस सीरियल के बाद ये और मशहूर हुआ। हालांकि करोल बाग की पहचान सीरियल के नाम की मोहताज नहीं है। क्योंकि इसका इतिहास, इसका महत्व और वर्तमान में वहां सजे बाजार करोल बाग को खुद में ही खास बना देते हैं। इतना ही नहीं इस इलाके का शैक्षणिक और ऐतिहासिक महत्व भी काफी खास है।

करोल बाग न सिर्फ दिल्लीवासियों के बीच, बल्कि शहर में आने वाले लोगों की खरीदारी के लिए भी मशहूर है। लोग दूर दराज शहरों से यहां आकर शॉपिग करते हैं। यहां पर कपड़े, जूते, घर की सजावट का सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, गैजेट्स और अन्य चीजें बेहद कम कीमत में मिल जाती हैं। इतना ही नहीं यहां पर कई नामी कोचिग संस्थान भी हैं, जो यूपीएससी जैसी कई बड़ी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं।

करोल बाग के अतीत की झलक

1920 के दशक से पहले, ये इलाका बड़े पैमाने पर जंगली झाड़ियों और पेड़ों से ढका हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस का विकास होना शुरू हुआ, तो मोहम्मदगंज, जयसिंहपुरा और राजा का बाजार जैसे इलाके खाली हो गए। ये लोग आकर करोल बाग में बस गए।

बता दें कि 1947 से पहले, करोल बाग एक मुस्लिम बहुल इलाका हुआ करता था। विभाजन के बाद, पश्चिम पंजाब और सिंध से कई हिंदू शरणार्थी यहां आकर बस गए। उनमें से कई सफल व्यापारी और उद्यमी थे। उन्होंने इस बाजार और क्षेत्र के विकास के लिए अपनी पूंजी का निवेश किया था। इस तरह उन लोगों ने करोल बाग को एक बड़ा और विकसित बाजार बनाने में मदद की थी।

करोल बाग नाम के पीछे की कहानी

इस नाम के पीछे कुछ मान्यताएं हैं। करोल का उर्दू में अर्थ हरी मिर्च की तरह मुड़ा हुआ और बाग का अर्थ बगीचा होता है। कहा जाता है कि इस इलाके में पहले कभी जड़ी-बूटियों के बगीचे हुआ करते थे। ये इलाका यूनानी चिकित्सा पद्धति के जुड़े होने के लिए भी जाना जाता है। हकीम अजमल खान ने इस इलाके में एक तिब्बिया कॉलेज की स्थापना भी की थी।

इससे जुड़ी एक और धारणा है कि करोल बाग का नाम इस क्षेत्र के प्रमुख उद्योगपति, लाला करोल के नाम पर रखा गया था। उनके बारे में कहा जाता है कि लाला ने अपनी अधिकांश संपत्ति इस क्षेत्र में स्कूल और अस्पताल बनाने के लिए दान कर दी थी।

शैक्षणिक और ऐतिहासिक महत्व

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार अमर फारूकी के अनुसार, 19 वीं सदी के अंत में, जब पहाड़गंज बसा था, उसी समय करोल बाग नाम की एक नई बस्ती भी बनी थी। तब तक उस क्षेत्र में आयुर्वेद और यूनानी महाविद्यालय स्थापित हो चुके थे। बाद में खालसा कॉलेज को इसके शैक्षणिक संस्थानों में शामिल कर लिया गया था।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के देशबंधु कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर राणा बहल, जो कि 1965 में अमृतसर से दिल्ली आए थे। उनका कहना है कि 1960 और 1970 के दशक में करोल बाग एक व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित होने लगा था। 1960 तक यह क्षेत्र कोचिंग संस्थानों का केंद्र बन गया था।

करोल बाग की वर्तमान स्थिति

आज करोल बाग दिल्ली के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके और बाजारों में से एक है। रोजाना देश-विदेश से लाखों खरीदार यहां आते हैं। यहां पर आपको शादी-विवाह के जोड़े, रेडीमेड कपड़े, बुटीक स्टोर, सोने और चांदी के आभूषण, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, गैजेट- जैसे मोबाइल, लैपटॉप, फर्नीचर और सजावट का सामान आदि उचित दामों पर मिल सकते हैं।

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