XXX vs UOI: जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर आज SC में सुनवाई, याचिका में क्यों छिपाई पहचान?

Supreme Court Hearing on petition of Justice Yashwant Varma
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सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई।

Justice Yashwant Varma: जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस याचिका में जस्टिस वर्मा ने अपनी पहचान गुप्त रखी है। जानें पूरा मामला...

Justice Yashwant Varma Cash Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिका में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर मिले नकदी मामले को लेकर इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और उन्हें जज के पद से हटाने के लिए महाभियोग लाने की सिफारिश रद्द करने की अर्जी लगाई है। इस रिपोर्ट में घर में नकद पाए जाने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराया गया है।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में अपनी पहचान गुप्त रखी है। इसके लिए उन्होंने याचिका में अपना नाम XXX लिखा हुआ है।

किन मामलों में गुप्त रखी जाती है पहचान?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिका में अपनी असली नाम की जगह XXX का इस्तेमाल किया है। बता दें कि अदालतों के रिकॉर्ड में इस तरह के नाम का इस्तेमाल उन मामलों में किया जाता है, जब मामला यौन उत्पीड़न या हमले की शिकार महिला से जुड़ा हो। इन मामलों में याचिकाकर्ता की पहचान छिपाई जाती है। इसके अलावा वैवाहिक हिरासत के विवादों में किशोरों और नाबालिगों की पहचान छिपाने के लिए भी किया जाता है।

XXX बनाम भारत संघ

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका का शीर्षक 'XXX बनाम भारत संघ' है। यह इस साल सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई 699वीं सिविल रिट याचिका है। इसमें केंद्र सरकार पहला प्रतिवादी है, जबकि दूसरा प्रतिवादी सुप्रीम कोर्ट है। जस्टिस वर्मा की ओर से 17 जुलाई को ही यह याचिका दायर की गई थी, लेकिन रजिस्ट्री में गड़बड़ियां पाई गईं। इन खामियों को दूर करने के बाद 24 जुलाई को जस्टिस वर्मा की याचिका दर्ज कर ली गई, जिस पर 28 जुलाई को सुनवाई होगी।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगी थी। उस दौरान आग बुझाने के लिए पहुंचे दिल्ली फायर सर्विस की टीम को उनके आवास से जले हुए नोटों के बंडल भारी मात्रा में मिले। उस समय जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में थे। हालांकि ये मामला सामने आने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आंतरिक जांच शुरू की। इसके बाद आंतरिक जांच की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई। जांच समिति की रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराया गया। इसके बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को जज के पद से हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाने की मांग की जाने लगी।

FIR की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई

जहां एक तरफ जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका 'XXX बनाम भारत संघ' पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यह याचिका जस्टिस दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष क्रम संख्या-56 पर सूचीबद्ध है। जबकि इसी बेंच के समक्ष एक दूसरी याचिका पर भी सोमवार को सुनवाई की जाएगी, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।

यह याचिका एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा की ओर से लगाई गई है, जो जस्टिस दत्ता की बेंच के समक्ष क्रम संख्या-59 पर सूचीबद्ध है। इस याचिका में जस्टिस वर्मा के आवास पर मिले कैश, उसके जलने और उसके बाद गायब होने के पीछे का राज सामने लाने के लिए एफआईआर दर्ज करने की अर्जी लगाई गई है।

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