मेजर ने मांगा पत्नी का वीडियो: तो कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका, अपनाया सख्त रुख

तो कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका, अपनाया सख्त रुख
X
Delhi Court News: भारतीय सेना के मेजर ने अपनी पत्नी के एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर के चलते कोर्ट में याचिका डाली कि उनकी पत्नी जिसके साथ होटल में गई थीं, उसका सीसीटीवी फुटेज दिया जाए। हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

Delhi Court News: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने भारतीय सेना के एक मेजर को फटकार लगाते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। दरअसल, याचिकाकर्ता ने कोर्ट से उस होटल की CCTV फुटेज और बुकिंग डिटेल्स मांगने की अनुमति मांगी थी, जहां कथित तौर पर उनकी पत्नी किसी अन्य युवक के साथ ठहरी थी। कोर्ट ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए याचिका खारिज कर दी।

मेजर ने किया दावा

मेजर ने कोर्ट में दावा किया था कि उनकी पत्नी ने किसी अन्य युवक के साथ होटल जाकर संबंध बनाए, जिससे उन्हें मानसिक और भावनात्मक हानि हुई। इसके सबूत के रूप में मेजर ने होटल से सीसीटीवी फुटेज मांगी, जिसके लिए होटल की तरफ से मना कर दिया गया। होटल की तरफ से कहा गया कि वो केवल 90 दिनों तक का डेटा ही संभालकर रखते हैं। हालांकि मेजर को गुप्त जानकारी मिली कि वो डेटा अब तक सही सलामत है और उस फुटेज को इंडस्ट्री एक्सरसाइज के तहत किसी डिपॉजिटरी (स्टोरेज सिस्टम) में रखा गया है।

कोर्ट ने खारिज की मेजर की अपील

मेजर ने कोर्ट से वो फुटेज मांगने की अपील की। इस दलील को जज ने अस्वीकार करते हुए कहा कि होटलों की जिम्मेदारी है कि वे अपने मेहमानों की प्राइवेसी की रक्षा करें। वे बुकिंग डिटेल्स और सीसीटीवी फुटेज या अन्य जानकारी किसी तीसरे के साथ साझा नहीं कर सकते, जब तक कोई वैध कानूनी कारण न हो। वहीं कोर्ट ने मेजर को सख्त रुख में समझाया कि वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना, देखभाल करना, सलाह लेना और शारीरिक संबंध बनाना शामिल होता है, लेकिन निजी स्वतंत्रता पर इन्हें थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

'देश के हर नागरिक को निजता का अधिकार'

सिविल जज वैभव प्रताप सिंह ने इस मामले में कहा कि देश के हर नागरिक को निजता का अधिकार है। वो होटल में किसी के साथ रुकने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि जो व्यक्ति होटल में खुद मौजूद नहीं था, उसे किसी अतिथि की निजी जानकारी या सीसीटीवी फुटेज मांगने का कानूनी अधिकार नहीं है।

'महिला को संपत्ति समझना गलत'

किसी महिला को पुरुष की संपत्ति समझकर ये मान लेना कि उसे कोई और चुरा सकता है, ये सोच पूरी तरह से अमानवीय है। भारतीय संसद ने व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। इससे ये साऱ है कि महिलाएं अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story