India Gate History: भारतीय शहीदों के शौर्य का प्रतीक है इंडिया गेट, 10 साल में बनकर हुआ था तैयार

India Gate History: दिल्ली के इंडिया गेट का पूरा नाम 'ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ है। इसे राष्ट्रीय स्मारक कहा जाता है। ये भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय शहीदों की याद में बना एक विशाल द्वार है। लगभग 42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट का इतिहास शहीदों के गौरव की गाथा गाता है।
क्यों बनाया गया इंडिया गेट?
इंडिया गेट शहीदों की याद में बनाया गया था। ब्रिटिश सरकार के अधीन सेवा करते हुए शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में इस स्मारक का निर्माण कराया गया था। यह केवल एक स्मारक नहीं है, बल्कि यह वीरता और बलिदान का प्रतीक है। यह उन भारतीय शहीद सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में लड़ाई की थी। यह स्मारक लगभग 42 मीटर ऊंचा है। यह एक प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है।
10 साल में हुआ तैयार
इंडिया गेट का निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ था। इसकी आधार शिलारॉयल हाइनेस, ड्यूक ऑफ कनॉट ने 1921 में रखी थी। इस गेट का डिजाइन सर एडविन लुटियंस ने बनाया था। इसको बनने में लगभग 10 सालों का समय लगा, जो कि 1931 में जाकर पूरा हुआ था। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने ये 1931 में देश को सौंपा था। यह एक ब्रिटिश वास्तुकार थे, जो तब दिल्ली के मुख्य वास्तुकार हुआ करते थे।
74,187 भारतीय सैनिकों की याद में बना इंडिया गेट
यह 74,187 भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। ये एक बलुआ मिट्टी से बना स्मारक है, जिस पर भारतीय सैनिकों के नाम उकेरे गए हैं। यह नई दिल्ली के कर्तव्यपथ (पहले राजपथ) पर स्थित है। इंडिया गेट पर 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति विद्यमान है।
फुरसत के बल बिताने जा सकते हैं इंडिया गेट
वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोग इंडिया गेट जाते हैं और वहां बने पार्क में फुरसत और शांति के कुछ पल बिताते हैं। यहां दोपहर 2 बजे से रात 11 बजे तक सबसे ज्यादा भीड़ होती है। इंडिया गेट पर बोटिंग भी की जाती है, जिसका समय दोपहर 2 बजे से रात 9 बजे तक है। 7 बजे से रात 9.30 बजे तक यहां लाइट शो भी होता है।
