Delhi History: दिल्ली के इस इलाके को कहते हैं राजाओं का द्वार, पहले था यूपी का हिस्सा

दिल्ली के शाहदरा जिले का इतिहास।
Delhi History: दिल्ली को भारतीय लोगों का दिल कहा जाता है। दिल्ली भारत के इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। दिल्ली को 7 बार बसाया और उजाड़ा गया है। दिल्ली को कई बार कई तरह से बदला गया। इस दौरान यहां के रंग, संस्कृति और परंपराओं में भी बदलाव देखने को मिला है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में एक ऐसा जिला है, जिसे राजाओं का द्वार भी कहा जाता है। ये दिल्ली के पूर्वी हिस्से में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ शाहदरा जिला है। शाहदरा को राजाओं का द्वार भी कहा जाता था।
बता दें कि शाहदरा को राजाओं का द्वार कहा जाता है क्योंकि शाहदरा शब्द फारसी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ शाह का द्वार या शाह का दरा होता है। मुगल काल में शाहदरा को दिल्ली के शाहजहांनाबाद यानि कि पुरानी दिल्ली इलाके में पूर्वी हिस्से का मेन एंट्री गेट माना जाता था। कहा जाता है कि एक समय शाहदरा इलाका पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले व्यापारियों और सेना के लिए मुख्य पड़ाव हुआ करता था। यहां मुगलों द्वारा शाही बाग और सराय का भी निर्माण कराया गया था। यहां पर व्यापारी और सेना दिल्ली में प्रवेश करने से पहले थोड़ा आराम करते थे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि शाहदरा पहले दिल्ली का हिस्सा नहीं था। ये जिला पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ मंडल में हुआ करता था। बाद में ब्रिटिश सरकार ने 1912 में दिल्ली को राजधानी बनाए जाने के बाद दिल्ली का विस्तार किया। दिल्ली के विस्तार के दौरान 1920 के बाद शाहदरा को मेरठ मंडल से अलग कर दिया गया। इसके बाद उसे दिल्ली में शामिल कर दिया गया।
कहा जाता है कि भारत की आजादी के समय दिल्ली की आबादी लगभग 10 लाख हुआ करती थी। हालांकि बंटवारे के दौरान दिल्ली की आबादी घटकर लगभग 6 लाख रह गई। हालांकि आजादी के बाद दिल्ली में तेजी से लोगों का पलायन हुआ। धीरे-धीरे दिल्ली की आबादी 6 लाख से बढ़कर 16 लाख के आंकड़े को पार कर गई। धीरे-धीरे दिल्ली का विस्तार करते हुए यमुना के पास शाहदरा में कॉलोनियां बसाई गईं। यहां लोगों की आबादी लगातार बढ़ती रही और आज ये घनी आबादी वाला जिला बन चुका है।
