Batla House Demolition: बटला हाउस में दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 प्रॉपर्टी की तोड़फोड़ पर लगाई रोक, कब तक रहेगी राहत?

Batla House Demolition Controversy
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बटला हाउस डिमोलिशन विवाद

Batla House Demolition Controversy: दिल्ली के बटला हाउस में 6 संपत्तियों के तोड़फोड़ की कार्रवाई (Bulldozer Action) पर रोक लगाई दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। जानें पूरा मामला...

Batla House Demolition Controversy: दिल्ली के बटला हाउस इलाके में डिमोलिशन को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस इलाके में 6 प्रॉपर्टी की तोड़फोड़ पर अंतरिम रोक लगा दी है। इन संपत्तियों के मालिकों ने पिछले महीने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) की ओर से जारी किए गए नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि बटला हाउस इलाके की कुछ संपत्तियां खसरा नंबर-279 के बाहर आती हैं, जबकि कुछ इसके दायरे में आती हैं। इन संपत्तियों के निवासियों का दावा है कि उनकी संपत्तियां पीएम उदय योजना के अंतर्गत आती हैं।

बता दें कि DDA ने ओखला के बटला हाउस इलाके में खसरा नंबर-279 के निवासियों को नोटिस जारी कर मकान खाली करने को कहा था, लेकिन वहां के निवासियों का कहना है कि सभी संपत्तियां खसरा नंबर-279 के अंदर नहीं आती हैं।

10 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
इस मामले पर सुनवाई करते सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति (यानी जैसा अभी है) बनाकर रखी जाए। अब जब तक अगली सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक कोई इन संपत्तियों के ऊपर कार्रवाई नहीं कर सकता है। साथ ही कोर्ट ने DDA को नोटस भेज कर 4 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी। जानकारी के मुताबिक, अदालत हीना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम, निहाल फातिमा, सुफियान अहमद और साजिद फखर जैसे याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

'1980-82 से रह रहे'
हाईकोर्ट में हीना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम की ओर से वकील सोनिका घोष, गुरमुख दास, और अनुराग सक्सेना पेश हुए। वकीलों ने अदालत में दलील दी कि DDA ने गलत नोटिस जारी किया है। साथ ही खसरा नंबर-279 में आने वाली सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे साल 1980-82 से वहां पर रहे रहे हैं और उन्होंने बिल्डरों से प्रॉपर्टी खरीदी थी।

कोर्ट में बताया गया कि खसरा नंबर-279 में कुल 34 बीघा जमीन है, जिसमें सिर्फ 2 बीघा और 10 बिस्वा पर अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया गया है, लेकिन इनमें से सारी संपत्तियां अवैध नहीं हैं।

DDA ने क्या दी दलील?
DDA की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले ही सीमांकन रिपोर्ट जमा की गई थी, जिसके आधार पर 4 जून का आदेश पारित हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को कहा था कि कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जा सकती है। DDA की ओर से कहा गया कि निहाल फातिमा और अन्य कई लोगों के पास कोई ओनरशिप डॉक्यूमेंट नहीं हैं। DDA ने दावा कि कुछ दस्तावेज आदेश पारित होने के दौरान बनाए गए।

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