ELV Policy: दिल्ली में पुराने वाहन मालिकों को 'सुप्रीम' राहत, SC ने दिया ये आदेश

relief to old age vehicle owners
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पुराने वाहन मालिकों को 'सुप्रीम' राहत

दिल्ली में 10 और 15 साल पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पुराने वाहन चालकों पर किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। पढ़िये रिपोर्ट...

दिल्ली में डीजल से चलने वाले 10 साल पुराने और पेट्रोल से चलने वाले 15 साल पुराने वाहन मालिकों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसे वाहनों के मालिकों के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने यह आदेश जारी किया है।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि उनके पास एक गाड़ी है, जिसका इस्तेमाल घर से कोर्ट जाने और कोर्ट से घर जाने के लिए करते हैं। दस साल बाद भी उनकी गाड़ी 2000 किलोमीटर ही चली होगी। अगर कोई इसे टैक्सी की तरह इस्तेमाल करता तो दो साल में एक लाख किलोमीटर तक चल जाती।

उन्होंने कहा कि अगर मेरी गाड़ी की उम्र 10 साल ज्यादा हो गई तो मुझे उसे बेचना होगा, लेकिन जो गाड़ी एक लाख किलोमीटर चल चुकी है, लेकिन उसकी उम्र दस साल से कम है, वो चलती रहेगी। उन्होंने आगे दलील दी कि पुराने या ओवरएज वाहनों के संबंध में जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने की मजेदार टिप्पणी

इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने भी मजेदार टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले कारें 40 से 50 साल तक इस्तेमाल की जाती थी। आज भी विंटेज कारों को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस आधार पर ओवरएज वाहन मालिकों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, जिनके डीजल वाहन 10 साल पुराने और पेट्रोल वाहन 15 साल पुराने हैं। उन्होंने चार हफ्तों बाद मामले को लिस्ट करने और तब तक ओवरएज वाहन मालिकों पर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

बता दें कि दिल्ली एनसीआर में डीजल के 10 साल पुराने और पेट्रोल से चलने वाले 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने को लेकर आदेश जारी किया गया था। इन आदेशों का पालन करने के लिए दिल्ली सरकार ने सख्ती से कदम उठाने शुरू कर दिए। केवल चौपहिया वाहन ही नहीं बल्कि दोपहिया वाहनों के मालिकों को भी जुर्माना, वाहन जब्ती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

विपक्ष ने जब इस मुद्दे को उठाया तो दिल्ली सरकार को आदेश देना पड़ा कि इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन वाहन मालिकों को राहत देते हुए किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।


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