Survey Report: भूकंप ही नहीं, आग लगने पर भी ढह जाती हैं भारतीय इमारतें; जानिये वजह?

ज्यादातर भारतीय इमारतें आग की घटनाओं से निपटने के लिए भी सक्षम नहीं।
बांग्लादेश में आज शुक्रवार की सुबह भूकंप से धरती हिल गई। रिएक्टर स्केल पर 5.6 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी महसूस किए गए। भूकंप से जुड़ी जब भी खबर सामने आती है, तो मकानों की संरचना को लेकर सवाल उठने लगते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर भारतीय मकान आग की घटनाओं से निपटने में सक्षम नहीं है।
हाउ टू सर्वाइव की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली समेत कई राज्यों में आग की घटनाओं में देखा गया है कि आग लगने से इमारत ही ढह गई। इसके पीछे की वजह यह है कि इमारत के संरचना में कई खामियां बरती गईं। मसलन धुआं रोकने के लिए दीवारों, फर्शों और छतों को सील नहीं जाता, जिसके चलते निचले ग्राउंड पर लगी आग का धुआं एसी शाफ्ट और नालिकाओं से होता हुआ ऊपरी मंजिल के फ्लैट्स तक पहुंच जाता है, जिससे आग तेजी से फैलती है। वहीं, सीढ़ियां भी जहरीले धुएं से भर जाती है।
इसके अलावा जापान और ब्रिटेन जैसे देशों में इमारतों की प्रत्येक सरंचना की भार क्षमता 90 से 120 मिनट होती है, जबकि भारतीय इमारतों में यह भार क्षमता 30 मिनट तक है। नतीजा यह होता है कि अगर आग को तेजी से नहीं बुझाया जाए तो इमारत भी ढह जाती है, जैसा कि मुंडका में भी देखा गया था।
दिल्ली में जर्जर इमारतें दे रही हादसों का न्यौता
ग्रेटर नोएडा के जेवर में नगला हुकम सिंह गांव में निर्माणाीधन इमारत के ढहने से तीन मजदूरों की मौत हुई थी। दिल्ली की बात करें तो पिछले चार वर्षों में 1323 घटनाओं में 137 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 800 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस साल अगस्त महीने तक इमारत गिरने की 13 प्रमुख घटनाएं हुईं, जिनमें 44 लोगों की मौत हुई और 119 लोग घायल हुए।
एमसीडी ने जारी किए नोटिस
दिल्ली नगर निगम खतरनाक और जर्जर इमारतों को ध्वस्त करने के लिए लगातार नोटिस जारी कर रही है। दो दिन पहले ही पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली सहित कई इलाकों में जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन मकान मालिकों को नोटिस जारी कर कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। तय समय पर कार्रवाई नहीं की तो संबंधित इमारतों को नगर निगम स्वयं ढहा देगा।
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