Delhi Hospitals: दिल्ली में अस्पतालों को लेकर कांग्रेस का आरोप, गिनाईं कई कमियां

Delhi Hospitals: दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि सीएम रेखा गुप्ता केंद्र सरकार को खुश करने के लिए नई-नई योजनाओं की घोषणा करती रहती हैं। हालांकि दिल्लीवासियों की असली जरूरत यानी बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस पर दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में बीजेपी सरकार के आने के बाद सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था काफी बेहतर हो गई है। वे आगे भी स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों से निगम के अस्पतालों तक लोगों को अव्यवस्थाओं और दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी के शासन में स्वास्थ्य व्यवस्था आईसीयू से वेंटिलेटर पर पहुंच गई है।
कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों जैसे- हिंदूराव, बालक राम और स्वामी दयानंद अस्पतालों में मरीजों को बीपी, एंटीबायोटिक और हृदय रोग जैसी जरूरी दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर पर्चों में तो दवाएं लिख देते हैं, लेकिन वे दवाइयां अस्पताल में नहीं मिलतीं। मरीज बाहर से दवाएं लेने को मजबूर हैं। इससे उनका इलाज का खर्च दोगुना हो जाता है।
उन्होंने कहा कि बारिश का मौसम खत्म होने के बाद डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां बढ़ गई हैं। इसके बावजूद अस्पतालों में कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। पिछले चार महीनों से निगम अस्पतालों में यही स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में अचानक से दवा वितरण काउंटर बंद कर दिए जाते हैं। डिस्पेंसरियों की हालत भी खराब है। दवाओं की कमी के साथ ही इमारतें जर्जर बनी हुई हैं।
इसके अलावा टूटी-फूटी मशीनें, कर्मचारियों की कमी और सफाई व्यवस्था की कमी के कारण मरीजों को काफी परेशानी है। उन्होंने कहा कि निगम अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों की कमी है। रेडियोलॉजी विभाग में ज्यादातर मशीनें खराब हैं। टेस्ट कराने के लिए मरीजों को घंटों लाइन में खड़े रहकर इंतजार करना होता है।
कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि निगम अब भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। भारी फंड की कमी, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण मरीज दवाइयों, टेस्ट और कर्मचारियों की कमी के कारण परेशानियां झेल रहे हैं। प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता है लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है।
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