Delhi Water Crisis: 56 लाख लोगों की बुझेगी प्यास, JICA से सहयोग लेने की तैयारी

दिल्ली जल बोर्ड का अन्य विभागों पर बकाया।
Delhi Water Crisis: दिल्ली में पीने के पानी की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती है। इससे भी बड़ी चुनौती है पानी की बर्बादी को रोकना। दिल्ली पीने के पानी के अधिकतर हिस्से के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। देखा जाए, तो दिल्ली को पानी की आपूर्ति के लिए रोजाना 1250 मिलियन गैलन पानी की जरूरत पड़ती है। इसमें से 1000 MGD रोजाना दिल्ली को मिलता है, लेकिन इसमें से भी सिर्फ आधा पानी ही लोगों तक पहुंच पाता है।
बाकी का पानी या तो रिसाव में बह जाता है या चोरी हो जाता है। ये पानी न तो दिल्ली के लोगों को मिल रहा है और न ही दिल्ली जल बोर्ड को इस पानी का पैसा मिल पा रहा है। तकनीकी भाषा में इसे गैर राजस्व जल (NRW) कहा जाता है। इस समस्या का समाधान लेने के लिए दिल्ली सरकार जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) का सहयोग लेने पर विचार कर रही है।
गैर राजस्व जल के कारण दिल्ली जल बोर्ड के राजस्व को नुकसान हो रहा है और इससे जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है। जल बोर्ड को इससे भारी घाटा हो रहा है, जिसके कारण जल उपचाप संयंत्र यानी WTP लगाने और जलापूर्ति से संबंधित दूसरी परियोजनाओं का काम बाधित हो रहा है। ये दिल्ली के कई इलाकों में जलापूर्ति न हो पाने का मुख्य कारण है।
एक MGD से लगभग 28 हजार लोगों को पानी दिया जाता है। इस तरीके से अगर 20 फीसदी यानी 200 MGD पानी बचा पाते हैं, तो 56 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकता है। इस समस्या का निवारण करने के लिए दिल्ली सरकार ने लगभग 15 साल पहले भी JICA से संपर्क किया था। साल 2011-12 में सरकार ने जल उपचार संयत्र समेत पूरे जलापूर्ति नेटवर्क का मूल्यांकन करने की बात कही थी। हालांकि उस सिफारिश पर आगे काम नहीं हुआ। अब एक बार फिर दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि वे JICA से सहयोग लेंगे।
वहीं पूरी दिल्ली में जलापूर्ति नेटवर्क का परीक्षण कराने के साथ ही पानी की मांग, उपलब्धता का विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद सभी दिल्लीवासियों को पानी उपलब्ध कराने और NRW कम करने की योजना बनाई जाएगी। बता दें कि पिछले महीने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच यमुना की सफाई और दिल्ली में जलापूर्ति को लेकर बैठक की गई थी। इस बैठक में दिल्ली सरकार ने ये प्रस्ताव रखा था। इसमें केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय से सहयोग लेने का प्रस्ताव है।
