Water Bill Mandatory: दिल्ली में अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए पानी का बिल होगा जरूरी, जानें वजह

दिल्ली में अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए पानी का बिल होगा जरूरी, जानें वजह
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

Delhi Water Bill Mandatory: दिल्ली में संपत्ति पंजीकरण के लिए पानी के बिल को अनिवार्य करने को लेकर विचार किया जा रहा है। इससे अवैध पानी के कनेक्शन की पहचान करने में मदद मिलेगी।

Property Registration & Water Bill: दिल्लीवालों के लिए एक जरूरी खबर सामने आई है। दिल्लीवासियों के पास अब प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए पानी का बिल होना अनिवार्य किया जा सकता है। इस पर दिल्ली सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय को लेटर भेजे हैं। पानी का बिल अनिवार्य हो जाने के बाद पानी के अवैध कनेक्शन पर नियंत्रण किया जा सकेगा।

जल बोर्ड को होगा फायदा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में करीब 29 लाख पानी के वैध कनेक्शन हैं। यह कनेक्शन जनसंख्या के हिसाब से कम हैं। कई क्षेत्रों, विशेषकर अनधिकृत कॉलोनियों में पानी और सीवर लाइन की सुविधा होने के बावजूद भी लोग वैध कनेक्शन नहीं ले रहे हैं। जिसकी वजह से अवैध कनेक्शन के माध्यम से पानी की चोरी हो रही है। ऐसा होने से जल बोर्ड को काफी नुकसान हो रहा है।

दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति में सुधार
अवैध कनेक्शनों के कारण जल बोर्ड को न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि अपशिष्ट जल प्रबंधन में भी समस्याएं हो रहीं हैं। अधिकारियों का कहना है कि बिजली बिल को संपत्ति रजिस्ट्रेशन के दौरान सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए पानी के बिल को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।

पानी के बकाया बिल का भुगतान करने से अवैध कनेक्शन को वैध किया जा सकता है। इससे दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और सीवर प्रबंधन के आधारभूत ढांचे की समस्या का भी समाधान हो जाएगा। ऐसा माना गया है कि पानी की खपत का 80 प्रतिशत सीवर में जाता है, लेकिन अवैध कनेक्शनों के कारण इसका मूल्यांकन नहीं हो पाता है।

प्रवेश वर्मा ने की थी घोषणा
दिल्ली में करीब 1800 कॉलोनियां ऐसी है, जो कि अनधिकृत है, जिनमें से लगभग 1200 कॉलोनियों में ही सीवर लाइन की सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने साल 2027 तक सभी अनधिकृत कॉलोनियों को सीवर नेटवर्क से जोड़ने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार के आंकड़ों की मानें तो उपलब्ध पेयजल का करीब 50 से 52 प्रतिशत चोरी या रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है। इसे गैर-राजस्व जल (NRW) कहा जाता है। पानी और सीवर नेटवर्क के प्रबंधन में सुधार के लिए NRW में कमी लाना जरूरी है। ताकि दिल्ली जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति बेहतर हो सके।

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