DU Library: दिल्ली यूनिवर्सिटी की 100 साल पुरानी लाइब्रेरी होगी डिजिटल, जानिए क्या-क्या होंगे बदलाव?

Delhi University Central Library
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दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी का हो रहा विस्तार।

DU Central Library: दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी का विस्तार किया जा रहा है। लाइब्रेरी अब मॉडर्न तरीके से विकसित होगी, जिससे ज्यादा छात्रों तक इसकी पहुंच हो सके। जानें इसका इतिहास...

Delhi University Central Library: दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी को मॉडर्न जमाने के अनुसार ढालने की तैयारी की जा रही है। इस लाइब्रेरी का विस्तार होने वाला है। इससे यहां छात्रों के बैठने की क्षमता लगभग 3,400 हो जाएगी। अभी डीयू की इस लाइब्रेरी में 700 सीटें हैं। अब इस लाइब्रेरी के नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। यह बदलाव सिर्फ ईंट-सीमेंट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे डिजिटल भी किया जाएगा।

लाइब्रेरी सैकड़ों साल पुराने इतिहास और उसकी विरासत को संभालकर रखे हुए है। इसमें 18वीं और 19वीं सदी की पांडुलिपियां, कई भाषाओं में लिखी किताबें, दुर्लभ रत्न और मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा जारी किए गए तीन मूल फरमान शामिल हैं।

डीयू की सेंट्रल लाइब्रेरी का इतिहास

दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1922 में हुई थी। उस समय यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी काफी साधारण थी। शुरुआत में इस लाइब्रेरी में सिर्फ 1,380 उपहार में मिली किताबें और 86 पत्रिकाएं थीं। इसके अलावा यह अस्थाई जगहों से चलाई जाती थी। साल 1933 और 1958 के बीच यह लाइब्रेरी वाइस रीगल लॉज के एक बॉलरूम में रही। फिर 1958 में यह सेंट्रल लाइब्रेरी भवन में शिफ्ट हो गई। जब यह लाइब्रेरी शुरू हुई थी, तब उसमें 1,500 से भी कम किताबें थीं। वहीं, आज इसमें 650,000 से ज्यादा किताबें मौजूद हैं।

क्या है डीयू की लाइब्रेरी की खासियत?

दिल्ली यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें बर्मा टीक की किताबों की अलमारियां मौजूद हैं। ये अलमारियां साल 1938 से 1952 तक डीयू के कुलपति और भारतीय संघीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मौरिस ग्वायर द्वारा दान की गई थीं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन अलमारियों में 27,000 से ज्यादा थीसिस रखी हुई हैं। इनमें से पहली थीसिस साल 1958 में जमा की गई थी, जिसका टाइटल 'भागवत पुराण का एक आलोचनात्मक अध्ययन' था।

इसके अलावा ऊपर के फ्लोर पर दुर्लभ पुस्तक रूम है, जो खजानों की खोज के लिए विद्वानों को आकर्षित करता है। इन पुस्तकों के भंडार में मुगल काल के शाही आदेश भी शामिल हैं। इसमें औरंगजेब द्वारा जारी किए गए 3 मूल फरमान हैं। ये दस्तावेज 1676 ई. (एएच 1087) में जारी किए गए थे। इसके अलावा जॉर्ज मेरेडिथ की कविताएं (1808), एडब्ल्यू किंगलेक की ईथेन (1863), 18वीं और 19वीं शताब्दी की तिब्बती पांडुलिपियां और 750 ई. के भारत के मानचित्र भी मौजूद हैं।

अब हो रहा लाइब्रेरी का विस्तार

दिल्ली यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के विस्तार के लिए लंबे समय से जमीन रिजर्व रखी गई थी। अब इस योजना पर काम किया जा रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लाइब्रेरी में तीन नए विंग बनाए जा रहे हैं, जिनमें से सभी चार-मंजिला ब्लॉक होंगे। इससे लाइब्रेरी का एरिया 4,775 स्क्वायर मीटर से बढ़कर 18,525 स्क्वायर मीटर हो जाएगा।

इसके अलावा लाइब्रेरी में बायोमेट्रिक गेट और मेटालिक चिप्स वाली किताबें भी नई योजना में शामिल की गई हैं। इस पूरी योजना का बजट 110 करोड़ रुपये रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाइब्रेरी के विस्तार के पहले चरण का काम इस साल फरवरी में शुरू हुआ था, जो दिसंबर के अंत तक पूरा हो सकता है।

डिजिटलाइजेशन पर दिया जा रहा जोर

डीयू की इस 100 साल पुरानी लाइब्रेरी में ज्ञान का अनंत भंडार मौजूद है। यहां पर रखी किताबें काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें संभालकर रखा जाना चाहिए। इसके लिए पांडुलिपियों और दुर्लभ पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है, जिससे उन्हें बचाया जा सके। सेंट्रल लाइब्रेरी दिल्ली यूनिवर्सिटी की सभी 34 लाइब्रेरी नेटवर्क का केंद्र है। इन सभी लाइब्रेरी में छात्रों को 17.5 लाख पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। अब डीयू ई-लाइब्रेरी पोर्टल के जरिए छात्रों को पूरे सिस्टम के सभी संसाधनों तक पहुंच मिलेगी।

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