Acid Attack Cases: दिल्ली में एक और बेटी पर एसिड अटैक...भारत समेत एशियाई देशों में सबसे ज्यादा मामले

भारत में एसिड अटैक के मामले।
Acid Attack Cases: राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में एसिड अटैक की घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। आए दिन तेजाब के हमलों के मामले सामने आते रहते हैं। इनमें से ज्यादातर अटैक महिलाओं पर किए जाते हैं। देश में कानून सख्त होने के बावजूद इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते रविवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा पर 3 लड़कों ने एसिड फेंक दिया। इस अटैक में छात्रा ने अपना चेहरा तो बचा लिया, लेकिन उसके हाथ तेजाब से बुरी तरह जल गए।
इससे पहले अगस्त में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। तब दिल्ली के पांडव नगर इलाके में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के ऊपर केमिकल डाल दिया दिया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया था। हालांकि पुलिस के एक्शन के बाद भी आरोपियों के हौसले बुलंद हैं। चाहे दिल्ली हो या फिर देश का कोई अन्य राज्य। हर जगह महिलाओं के साथ क्रूरता के ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि ज्यादातर मामलों एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाती है। इससे सही आंकड़ों तक पहुंचना मुश्किल है।
एशियाई देशों में एसिड अटैक के ज्यादा मामले
वैसे तो दुनियाभर में एसिड अटैक के मामले सामने आते हैं, लेकिन एशियाई देशों में सबसे ज्यादा ऐसे मामले देखे गए हैं। इन एशियाई देशों में भी सबसे ज्यादा मामले बांग्लादेश, भारत, कंबोडिया और पाकिस्तान में देखने को मिलते हैं। यहां एसिड अटैक के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हैं। वहीं, अगर सिर्फ भारत की बात करें, तो पिछले 5 साल में देश में एसिड अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
एसिड सर्वाइवर फाउंडेशन के अनुसार, कुल मामलों में से 70 फीसदी पीड़ित महिलाएं होती हैं। इनमें शादी से इनकार करने, यौन संबंध बनाने से मना करने और पुरुषों व लड़कों द्वारा यौन रूप से अस्वीकार किए जाने के जुड़े मामले होते हैं। देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे ऐसे अपराधों में वृद्धि होना प्रशासन पर सवाल खड़े करता है।
भारत में कितने मामले?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन द्वारा एसिड अटैक के मामलों को लेकर एक डिटेल रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट साल 2024 में प्रकाशित हुई। इसके अनुसार, भारत में एसिड हमलों की घटनाओं की प्रवृत्ति पिछले 5 सालों में कम हो रही थी। साल 2017 में यह घटनाएं 244 थीं, जो साल 2021 में घटकर 176 हो गईं। इस दौरान पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा एसिड हमले की घटनाएं सामने आई थीं।

इस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा एसिड हमले की घटनाओं वाला मेट्रो शहर था। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ एसिड हमलों के मामलों की पुलिस जांच और पुलिस द्वारा निपटाए गए मामलों में पिछले 5 सालों में कमी आई है। साथ ही इस दौरान महिलाओं के खिलाफ एसिड हमलों के मामलों की सुनवाई में भी इजाफा हुआ।
राज्यों में क्या हालात?
राज्य | 2018 | 2019 | 2020 | 2021 |
पश्चिम बंगाल | 50 | 50 | 51 | 34 |
उत्तर प्रदेश | 40 | 45 | 30 | 22 |
ओडिशा | 13 | 11 | 11 | |
बिहार | 12 | 15 | ||
पंजाब | 12 | 11 | 6 | |
दिल्ली | 11 | 10 | 9 | |
तेलंगाना | 10 | 10 | ||
गुजरात | 9 | 10 | 8 | 11 |
मध्य प्रदेश | 9 | 12 | 13 | 7 |
केरल | 8 | 11 | 10 | |
राजस्थान | 8 | 15 | ||
महाराष्ट्र | 7 | 12 | ||
हरियाणा | 6 | 11 |
कानून में क्या है सजा का प्रावधान
देश में एसिड अटैक के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान रखा गया है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 124 के अनुसार, अगर किसी इंसान पर तेजाब डालकर, पिलाकर या फिर किसी अन्य तरीके से उसके शरीर को स्थायी या आंशिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाती है, तो उसे एसिड अटैक माना जाता है। भारतीय कानून के तहत एसिड अटैक मामलों में आरोपी को 10 साल तक के जेल की सजा हो सकती है। साथ ही भारी जुर्माना भी लगेगा।
पड़ोसी देशों में ज्यादा मामले
पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर गौर करें, तो भारत में एसिड अटैक के मामलों में कमी आई है। वहीं, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में हालात बदतर हैं। एसिड सर्वाइवर फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल औसतन 200 एसिड अटैक के मामले सामने आते हैं। एक अन्य रिपोर्ट की मानें, तो पाकिस्तान में इन मामलों में 80 फीसदी पीड़ित महिलाएं होती हैं।
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