Delhi Tihar Jail: 'पैसे दो और कैदी से मिलो...,' तिहाड़ जेल में वसूली गैंग का दिल्ली पुलिस ने किया पर्दाफाश
दिल्ली की तिहाड़ जेल में वसूली गैंग का भंडाफोड़।
Delhi Tihar Jail: दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैदियों से मिलने के लिए पैसे वसूलने का मामला सामने आया है। जेल प्रशासन द्वारा जांच में सामने आया कि जेल में बंद कैदियों के रिश्तेदार, जिन्हें कानूनी तौर पर फ्री में मिलने दिया जाता है, उनसे मिलने के नाम पर पैसे वसूले जा रहे थे। मामले के बारे में तब पता लगा जब एक कैदी ने इस बारे में जेल प्रशासन को सूचित किया। सूचना मिलने के बाद जेल प्रशासन द्वारा मामले में आगे की कार्रवाई की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले का खुलासा तब हुआ जब जेल की खुफिया विंग को इस बारे में पता लगा कि कैदी से मुलाकात के लिए उसके रिश्तेदार से पैसे लिए गए हैं। शुरूआती जांच में जेल अधिकारियों द्वारा कैदी के रिश्तेदार से मुलाकात की बुकिंग के बारे में डिटेल्स ली गईं।
अधिकारियों ने बदला भेष
जांच में सामने आया कि फोन कॉल के माध्यम से मुलाकात तय की गई थी। मामले की गहराई तक जाने के लिए प्लान के मुताबिक अधिकारियों ने खुद कैदियों के रिश्तेदारों का भेष बनाया, इसके बाद उसी नंबर पर कॉल किया जिसके माध्यम से बुकिंग की जा रही थी। अधिकारियों ने जब कॉल किया तो उनसे मुलाकात की एवज में पैसे मांगे गए।
जांच में यह भी सामने आया है कि जिस आरोपी ने पैसे मांगे थे, उसके पास बुकिंग सिस्टम में लॉग इन करने के लिए जरूरी यूजरनेम और पासवर्ड थे। इन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल करके रिश्तेदारों को कैदियों से मिलने का समय दिया जाता था। लेकिन इस मामले में यह भी पता नहीं चल पाया है कि आखिर किस व्यक्ति के क्रेडेंशियल्स का गलत इस्तेमाल किया गया है। इस धांधलेबाजी को रोकने के लिए जेल प्रशासन ने एहतियात के तौर पर 20 से 25 डेटा एंट्री ऑपरेटर्स का ट्रांसफर कर दिया है।
'टेली-बुकिंग' का ले सकते हैं मदद
जेल के अधिकारी के मुताबिक, रिश्तेदार फोन कॉल के माध्यम से भी मुलाकात बुक कर सकते हैं, जिसे 'टेली-बुकिंग' कहा जाता है। 'टेली-बुकिंग' के लिए एक टोल-फ्री नंबर भी दिया गया है। सेंट्रल पब्लिक रिलेशंस ऑफिस (CPRO) में तैनात डेटा एंट्री ऑपरेटर्स द्वारा इन बुकिंग को संभाला जाता है। पहले नेशनल प्रिजन इंफॉर्मेशन पोर्टल पर लॉग इन किया जाता है, जिसके बाद कैदियों के रिश्तेदार की जानकारी दर्ज की जाती है। फिर तारीख और समय तय किया जाता है। ये मुलाकातें जेल के अंदर या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी हो सकती है।
जेल के IT विभाग को निर्देश
अधिकारियों का कहना है कि जेल के बाहर कुछ दलाल एक्टिव हैं, जो सिस्टम का फायदा उठा रहे थे। जेल के बाहर ऐसे बोर्ड भी देखे गए हैं, जिन पर 'होम-बेस्ड बुकिंग' का विज्ञापन लगा हुआ था। इन विज्ञापनों के माध्यम से फोन कॉल के जरिए मुलाकातें तय करने का वादा किया जाता था। लेकिन अब इन बोर्ड को हटा दिया गया है।
प्रशासन द्वारा मामले में आगे की जांच करके यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर कब तक मुलाकात के नाम पर पैसे ऐंठने का कारोबार चल रहा था। जेल के आईटी विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह लॉग इन आईडी और पासवर्ड के साथ बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को भी लागू करे। इससे अवैध पहुंच पर रोक लगाई जा सकेगी।
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