Supreme Court: 'यह सब लग्जरी मुकदमे हैं...,' बोतलबंद पानी की क्वालिटी वाली याचिका पर बोले CJI सूर्यकांत
सुप्रीम कोर्ट ने की बोतलबंद पानी पर PIL खारिज।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बोतल बंद पीने के पानी का स्टैंडर्ड तय करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज भी देश के कई हिस्से में लोग पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। बता दें कि CJI सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने इस याचिका को लग्जरी लिटिगेशन' बताया, जो 'अर्बन फोबिया' से ग्रसित है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आज भी गांव के कईं इलाकों में लोग भूजल (ग्राउंडवॉटर) के निर्भर है। हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि, अगर वह चाहे तो अपनी मांग के लिए दूसरी एजेंसियों से संपर्क कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक, सारंग वामन यादवडकर नाम के शख्स ने बोतलबंद पानी को लेकर याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने दावा किया था कि भारत में बोतलबंद पीने के पानी का मानक पुराना पड़ चुका है। याचिकाकर्ता चाहता था कि अदालत से कंपनियों को यह आदेश दिलवाया जा सके कि वह यूरो-2 स्टैंडर्ड अपना लें। याचिका को लेकर CJI सूर्यकांत ने कहा कि 'देश में लोगों को पीने का साफ पानी तक नहीं मिल रहा है, क्वालिटी का मुद्दा तो बाद में आएगा।'
जमीनी हालत समझना जरूरी- अदालत
अदालत ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि पहले जमीनी हालत को समझना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि भारत आंख बंद करके वह गाइडलाइंस नहीं अपना सकता, जो अमेरिका या यूरोप में अपनाए जा रहे हैं। CJI ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि, 'क्या आपको लगता है कि हमारा देश जिस तरह से पीने के पानी की समस्या का सामना कर रहा है, ऐसे में हम वह स्टैंडर्ड लागू कर सकते हैं, जो यूके, सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया अपनाते हैं? यह अर्बन फोबिया है।'
याचिका में 'अर्बन सेंट्रिक अप्रोच'-कोर्ट
भारत में बोतलबंद पानी का मानक ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) द्वारा तय किया जाता है। अदालत ने कहा कि इस याचिका में 'अर्बन सेंट्रिक अप्रोच' नजर आ रहा है। CJI ने यह भी कहा कि, 'इस देश को आगे ले जाने के लिए थोड़ा समय दें...गांव में आज भी लोग भूजल पी रहे हैं, कोर्ट ने कहा कि हमें देश की जमीनी हालत का सामना करना होगा।
याचिकाकर्ता ने जब यह मानने से इंकार कर दिया कि यह 'लग्जरी लिटिगेशन' है, तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे पूरा देश घूमने और सच्चाई देखने को कहा। याचिकाकर्ता को यह भी कहा गया कि 'दक्षिण अफ्रीका के बाद जब महात्मा गांधी लौटे पूरे देश की यात्रा की।' अदालत ने याचिका तो खारिद कर दी, लेकिन याचिकार्ता को इस मामले में FSSAI और दूसरी एजेंसियों से संपर्क करने की छूट दे दी।
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