Delhi Satpula Dam: दिल्ली का 700 साल पुराना बांध, जहां बहता था चमत्कारी पानी, जानें इतिहास

Delhi Satpula Dam History
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दिल्ली का 700 साल पुराना सतपुला बांध 

आज हम दिल्ली के 700 साल पुराने सतपुला बांध का इतिहास बताएंगे, जिसे मुहम्मद बिन तुगलक ने 1340 में बनवाया था। जो एक समय पर दिल्ली की प्यास बुझाने के साथ, देश की राजधानी की रक्षा करता था।

Delhi Satpula Dam: दिल्ली की आधुनिकता की चकाचौंध के बीच एक ऐसा बांध छुपा है, जो सदियों पुरानी कहानी बयां करता है। करीब 700 साल पुराने बांध के पानी की चमत्कारी मान्यताएं और रोचक रहस्य हैं। यह बांध दिल्ली में पानी प्रबंधन नीति की प्राचीन बुद्धिमत्ता का सबूत है। यह दिल्ली वासियों के लिए केवल पानी का स्त्रोत नहीं बल्कि शहर की रक्षा दीवार का हिस्सा भी था।

इस बांध को तुगलक काल में बनाया गया था। जानकारी के अनुसार इसने सूखे से लड़ाई लड़ रहे शहर की रक्षा की थी। अब यह बांध पुनर्जीवित होकर पर्यावरण के लिए फिर मिसाल बना हुआ है। चलिए जानते हैं सतपुला बांध के रोचक रहस्य की कहानी क्या रही है?

साल 1340 सतपुला बांध का निर्माण हुआ

एक समय था जब दिल्ली में चारों ओर सूखा और ब्लैक प्लेग जैसी महामारी फैलने के कारण लोगों में त्राहि-त्राहि मची थी। यह बात साल 1340 की है, जब तुगलक वंश के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने सतपुला बांध का निर्माण यमुना नदी पर करवाया था। कह सकते हैं कि बांध का निर्माण सूखे और प्लेग बीमारी के बीच हुआ था। इस बांध को यमुना नदी से जुड़ी एक छोटी धारा को नियंत्रण करने के लिए बनाया गया था। जिससे लोगों को पीने के लिए पानी और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो पाए।

पानी में है चमत्कारी गुण

मान्यताओं के अनुसार, इस बांध के पानी के अंदर सूफी संत नासिरुद्दीन महमूद के आशीर्वाद की शक्ति थी, जो इसके पानी को चमत्कारी गुण प्रदान करती थी। आज के समय में यह बांध साकेत के पास खिड़की गांव में खड़ा है। जहां यह दिल्ली के पुराने चार शहरों किला राय पिथौरा, सिरी, तुगलकाबाद और जहांपनाह को जोड़ने वाली दीवारों का हिस्सा है।

बांध की कारीगरी

सतपुला नाम के अनुसार ही इसमें सात पुल या कहें सात मेहराब हैं, जो इस बांध की संरचना की कहानी बयां करते हैं। ये सात मेहराबें पानी के प्रवाह को नियंत्रित करती थीं। मोटे पत्थर की दीवारों से लगभग 255 फीट चौड़ा ढांचा बनाया गया था, जिसकी तीन मुख्य मेहराबें सबसे चौड़ी और बाकी मेहराबें 9 फीट चौड़ाई की बनाई गयी थी। पानी के बहाव को रोकने व बहाने के लिए रस्सी और पुली सिस्टम से चलने वाले लकड़ी के स्लूस गेट्स बनाए गए थे।

ऑक्टागोनल कमरे का इस्तेमाल गार्ड रूम या मदरसा के रूप में होता था। फ्लैंक टावर और बुर्ज इसे मजबूत बनाने में सहायक थे। यह निर्माण प्राचीन इंजीनियरिंग का उदाहरण है। इसके आसपास 19.8 एकड़ का पार्क है, जहां पर झील का क्षेत्रफल 3.1 एकड़ और 6-8 फीट तक की गहराई है। यह पानी को रोकने के अलावा शहर की दीवार के रूप में भी काम करता है।

दुश्मनों से की दिल्ली की रक्षा

इस बांध का निर्माण तुगलक काल की दूरदर्शिता का उदाहरण है। सतपुला दिल्ली शहर के लिए जीवन रेखा की तरह था। यह सूखा पड़ने के समय यमुना नदी से पानी खींचकर खेतों को सींचता था। वहीं दूसरी ओर दुश्मनों के हमलों से बचाने के लिए जहांपनाह की दक्षिणी दीवार का हिस्सा बनता था। कुछ ऐसी किंवदंती है कि इसका पानी इतना ज्यादा शुद्ध था कि लोग इसके पानी को चमत्कारी पानी कहते थे। सूफी संत भी यहां के पानी का उपयोग करते थे।

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