Delhi Riots Case: दिल्ली दंगा केस के आरोपियों को मिलेगी बेल! 3 दिसंबर को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Delhi Riots 2020 Case
X

दिल्ली दंगा मामले में आरोपियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

Delhi Riots 2020 Case: दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बुधवार को भी अदालत में सुनवाई जारी रखी जाएगी। जानें आज सुनवाई में क्या हुआ...

Delhi Riots 2020 Case: फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा समेत अन्य की जमानत याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य आरोपी शरजील, खालिद और फातिमा की ओर से पेश वकीलों ने ट्रायल में हो रही देरी को लेकर गंभीर सवाल उठाए। मंगलवार को कोर्ट मे इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के इस मामले की सुनवाई कर रही है। मंगलवार को अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी मुवक्किल लगभग 6 साल से जेल में बंद हैं।

16 सितंबर, 2020 को एक मुख्य चार्जशीट दायर की गई थी, लेकिन जांच एजेंसियां लगातार सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करती रहीं। उन्होंने कहा कि चार सप्लीमेंट्री और एक मेन चार्जशीट फाइल हो चुकी है, लेकिन ट्रायल शुरू होने का कोई संकेत नहीं है। बिना सजा के इतनी लंबी कैद में नहीं रखा जा सकता है। यह प्री-ट्रायल पनिशमेंट है।

गुलफिशा फातिमा की दलील

गुलफिशा फातिमा की ओर से कोर्ट में पेश अधिवक्ता सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस सत्ता परिवर्तन की साजिश का आरोप लगाया है, उसका जिक्र चार्जशीट में नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने दावा किया कि असम को भारत से अलग करने के लिए साजिश रची गई, लेकिन ये पूरी तरह बेबुनियाद है।

सिंघवी ने हाईकोर्ट द्वारा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को दी गई जमानत का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन पर गंभीर आरोप थे और उसी व्हाट्सएप ग्रुप (दिल्ली विरोध समर्थन समूह) से जुड़े थे। वहीं, गुलफिशा फातिमा उस ग्रुप की सदस्य भी नहीं थीं। उन्होंने कहा कि अब एक 32 वर्षीय महिला को यूएपीए के तहत जेल में रखना उचित नहीं है।

उमर खालिद के वकील ने क्या कहा?

दिल्ली दंगा के मुख्य आरोपी उमर खालिद की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत में कहा कि खालिद 13 सितंबर 2020 से अब तक यानी 5 साल 3 महीने से जेल में है। सिब्बल के अनुसार, पुलिस की दलील सिर्फ इस बात पर आधारित है कि खालिद ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र में एक भाषण दिया था। उन्होंने अदालत में उस भाषण का वीडियो भी दिखाया।

सिब्बल ने कहा कि यह भाषण महात्मा गांधी के आदर्शों पर था। इसमें हिंसा या नफरत को बढ़ावा देने जैसा कुछ नहीं था। उन्होंने कहा कि जांच में देरी जानबूझकर की गई। अगर जमानत नहीं मिली, तो बिना ट्रायल के उनके मुवक्किल को 8 साल तक जेल में रहना पड़ेगा।

शरजील के वकील ने दी ये दलील

आरोपी शरजील इमाम की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि सरकार ने उन्हें खतरनाक इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट का लेबल दे दिया, जबकि उन्हें किसी भी केस में अब तक सजा नहीं मिली। भाषणों के अलावा साजिश का कोई सीधा सबूत नहीं है। सिद्धार्थ ने कहा कि उनके मुवक्किल यानी शरजील इमाम को एक खतरनाक बौद्धिक आतंकवादी करार दिया गया है। उन्हें राष्ट्र-विरोधी करार दिया गया है, जबकि आज तक एक भी दोषसिद्धि नहीं हुई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले में ट्रायल की देरी और यूएपीए के दायरे पर विस्तृत सुनवाई कर रहा है। बुधवार को आगे की सुनवाई जारी रखी जाएगी।

दिल्ली दंगों में हुई थीं 53 मौतें

साल 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान दिल्ली के कई इलाकों में हिंसक झड़प हुई और दंगा भड़क गया। दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन दंगों में कुल 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन दंगों की साजिश में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा समेत कई लोगों को आरोपी बनाया है। इस मामले में कई आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, जबकि उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा समेत कुछ आरोपी अब भी जेल में बंद हैं।

अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें। हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए haribhoomi.com के साथ।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story