Delhi Flyover: दिल्ली में इन 3 जगहों पर बनेंगें फ्लाईओवर! बाहरी रिंग रोड पर जाम खत्म करने का प्लान

दिल्ली में इन 3 जगहों पर बनेंगे फ्लाईओवर।
Delhi New Flyover: राजधानी दिल्ली में रोजाना वाहन चालकों को ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ता है। त्योहारों के सीजन में यह समस्या काफी बढ़ जाती है, जिससे लोगों को को घंटों जाम झेलना पड़ता है। ऐसे में दिल्ली को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने बड़ी योजना बनाई है। इसके तहत ईस्ट और नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में जाम की समस्या को खत्म करने 3 नए फ्लाईओवर बनाने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर जल्द ही पीडब्ल्यूडी स्टडी शुरू करेगा। इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में वाहनों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करना है।
जानें किन जगहों पर फ्लाईओवर बनाने की तैयारी है...
1. पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रस्तावित तीन फ्लाईओवरों में से सबसे लंबा 17.5 किमी लंबा होगा। ये फ्लाईओवर केशोपुर डिपो और हैदरपुर को आउटर रिंग रोड पर जोड़ेगा। इसकी स्टडी पर 5.63 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसका निर्माण सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण (आईएफसी) पूरक नाले के किनारे किया जाएगा।
2. दूसरा फ्लाईओवर आउटर रिंग रोड पर 10.74 किमी लंबा बनाया जाएगा। यह फ्लाईओवर कंझावला चौक से मंगोलपुरी को जोड़ने के लिए बनाया जाएगा। यह आगे जाकर अर्बन एक्सटेंशन रोड (यूईआर-2) से जुड़ेगा। यह फ्लाईओवर कंझावला चौक यूईआर-2, सेक्टर-22 रोहिणी (बेगमपुर), वाई-ब्लॉक मंगोलपुरी और पत्थर मार्केट जैसे महत्वपूर्ण जंक्शनों को कवर करेगा। इससे इन जगहों पर लगने वाला जाम खत्म हो जाएगा। इस सेक्शन पर व्यावहारिकता अध्ययन पर 3.4 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उम्मीद है कि 6 महीने के अंदर तैयार कर लिया जाएगा।
3. यह फ्लाईओवर तीनों में से सबसे छोटा होगा, जिसकी लंबाई सिर्फ 4.3 किमी होगी। यह फ्लाईओवर सागरपुर को मायापुरी चौक से जोड़ेगा। इस फ्लाईओवर 900 मीटर हिस्सा सागरपुर रेड लाइट से लाजवंती फ्लाईओवर तक होगा। इसके अलावा 3.4 किमी का सेक्शन लाजवंती फ्लाईओवर से मायापुरी मेट्रो स्टेशन तक होगा। इस प्रोजेक्ट के व्यावहारिकता अध्ययन पर 1.38 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।
इन पहलुओं का किया जाएगा अध्ययन
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन तीनों फ्लाईओवर को बनाने के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए अलग-अलग सलाहकार नियुक्त किए जाएंगे। ये सलाहकार ज्यामितीय और संरचनात्मक डिजाइन तैयार करने, परियोजनाओं के लिए लागत-लाभ विश्लेषण और सामाजिक प्रभाव आकलन करने और भूमि अधिग्रहण की डिटेल तैयार करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
इसके अलावा कॉरिडोर के पार्किंग, गतिविधियों और ट्रैफिक सर्वे की स्टडी करने के लिए सर्वे किया जाएगा। इस स्टडी में यह भी आकलन किया जाएगा कि इन प्रोजेक्ट में कितने और किस तरह के पेड़ काटे जाएंगे।
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