Pul Mithai: दिल्ली का ये ब्रिज आज भी सुनाता है मुगल काल की कहानी, युद्ध का गवाह है पुल मिठाई

Delhi Bridge Pul Mithai History
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दिल्ली का फेमस ब्रिज पुल मिठाई

दिल्ली में एक ऐसा पुराना ब्रिज मौजूद है, जिसका नाम पुल मिठाई है। जो मुगलों और सिख सरदारों के बीच हुए युद्ध का गवाह है। इसकी कहानी इसके नाम की तरह रोचक और मजेदार है।

Delhi Bridge: दिल्ली में कई फेमस जगह और ऐतिहासिक इमारतें हैं। इन सब इमारतों की कुछ ना कुछ कहानियां होती हैं। आज की कहानी एक ब्रिज की है, जिसका नाम है पुल मिठाई। यह एक फेमस ब्रिज है, जिसका नाम सुनकर लगता है कि यहां पर मिठाइयों की दुकानें होगी। परन्तु यहां पर ऐसा कुछ नही है। यह ब्रिज पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के करीब मौजूद है। यहां पर मसाले और मेवे बेचने वालों की भीड़ लगी रहती है। इस ब्रिज का मुगल काल से गहरा रिश्ता है। चलिए जानते हैं कि इस ब्रिज का नाम पुल मिठाई कैसे पड़ा था?

सरदार बघेल सिंह के साहस की कहानी

साल 1783 में अमृतसर के झबाल गांव के सरदार बघेल सिंह ने अपनी सेना के साथ मिलकर दिल्ली पर चढाई की थी, जो सिंधिया मिसल के प्रमुख थे। उस समय दिल्ली पर मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय का राज था। लेकिन शाह आलम की सेना बहुत कमजोर थी। सरदार बघेल सिंह और शाह आलम के बीच युद्ध हुआ, गनीमत रही कि इस युद्ध में खून खराबा ज्यादा नहीं हुआ। बघेल सिंह और उसकी सेना का मकसद केवल युद्ध करना नहीं था। बल्कि अपने गुरु गोविंद सिंह जी के बताए वचनों पर चलते हुए धार्मिक स्थलों की रक्षा करना था। बघेल सिंह और उसकी सेना ने लाल किले पर कब्जा कर मुगलों से एक समझौता कर लिया था। ये समझौता मुगलों के सात सिख गुरुद्वारों के निर्माण और बदले में शांति कायम रखने के लिए किया गया था। इतना ही नहीं बंगला साहिब, रकाबगंज, शीशगंज और अन्य पवित्र स्थल उनकी ही देन है।

आखिर कैसे नाम पड़ा मिठाई पुल

इतिहासकारों का कहना है कि सरदार बघेल सिंह मिठाई खाने के बहुत शौकीन थे। उनको खाने में गुड़ से बनी चिपचिपी चूड़ियां बहुत पसंद था। उन्होंने दिल्ली पर विजय पाने के बाद वापस लौटते समय चांदनी चौक के पास एक पुराने पुल पर रुक कर जश्न मनाया था। जीत की खुशी में दिल्ली के लोगों को रसगुल्ले, जलेबियां, गुड़ की चूड़ियां और अनेक तरह की मिठाई बटवाई थीं। मिठाइयां इतनी ज्यादा थीं कि पुल पर मिठाइयों का ढेर लग गया था। तब से ही इस पुल का नाम पुल मिठाई पड़ गया। आज भी दिल्ली के इस इलाके में गुड़ से बनी चूड़ियां बिकती हैं।

आज भी मौजूद है पुल मिठाई

मुगलों के पतन के साथ भारत में अंग्रेजों का राज शुरु हो गया था। ब्रिटिश राज में साल 1930 के आसपास इस पुल को रेलवे ओवरब्रिज के रूप में दोबारा बना दिया गया था। यह पुल आज भी चांदनी चौक के पास है। हालांकि अब यह पुल जर्जर हालातों में है। इसमें जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं। ये पुल हमें एक सच्चे सिख वीर योद्धा की कहानी याद दिलाता है। जिसने पूरे दिल्ली शहर को मिठाई खिलाई थी। ये पुल मिठाई, श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग पर पीली कोठी से जंक्शन तक का खंड है। जहां पर कुतुब रोड और आजाद मार्केट रोड से मिलती है। 95 साल के बाद भी यह पुल खड़ा है।

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