Delhi Pollution: औद्योगिक इकाइयों पर नहीं लिया एक्शन, एनजीटी ने MCD-BSES को लगाई फटकार

एनजीटी ने एमसीडी और बीएसईएस को लगाई फटकार।
पूर्वी दिल्ली के गामरी गांव में चल रही अवैध औद्योगिक इकाइयों पर नकेल नहीं कसा जा सका है। शायद यही वजह है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) और बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस (BSES) ने अभी तक इन इकाइयों के खिलाफ रिपोर्ट सब्मिट नहीं की है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अब एमसीडी और बीएसईएस को कड़ी फटकार लगा दी है। एनजीटी (National Green Tribunal) ने कहा है कि दोनों एजेंसियों को चार सप्ताह के भीतर इन अवैध औद्योगिक इकाइयों (Illegal Industrial Units) के खिलाफ की गई कार्रवाई से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। एनजीटी पर्यावरण कार्यकर्ता वरुण गुलाटी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, एमसीडी, बीएसईएस, राजस्व विभाग और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमों ने 7 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच इन औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ संयुक्त निरीक्षण किया था। लेकिन, एमसीडी और बीएसईएस की तरफ से इन इकाइयों पर कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट सब्मिट नहीं की। एनजीटी को बताया गया कि कई औद्योगिक इकाइयां बंद पाई गई हैं। ऐसे में उसके संचालन की प्रकृति का पता लगाना मुश्किल होता है।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह मुश्किल है, लेकिन बिजली रीडिंग के माध्यम से पता लगाया जा सकता है कि ये इकाइयां चल रही हैं या नहीं। पीठ ने कहा कि ऐसी अवैध इकाइयां गुपचुप तरीके से काम करती होंगी, लेकिन बिजली खपत के माध्यम से उनका पता लगाना मुश्किल नहीं है। पीठ ने कहा कि बीएसईएस मीटर रीडिंग और कनेक्शन की प्रकृति के अलावा बिजली खपत में किसी प्रकार का बदलाव हो तो औचक निरीक्षण किया जा सकता है।
ट्रिब्यूनल ने बीएसईएस को फटकार लगाते हुए पूछा कि डीपीसीसी ने जिन मामलों में पर्यावरणीय मुआवजा लगाया है, उनके बिजली कनेक्शन नहीं काटे हैं। ट्रिब्यूनल ने डिस्कॉम से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी। साथ ही, एमसीडी आयुक्त को भी निर्देश दिया कि नियमों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों का पता लगाने के लिए जो निरीक्षण किया गया था, उस पर हलफनाम दाखिल करें, जिसमें कार्रवाई का खुलासा होना चाहिए। एनजीटी ने एमसीडी और बीएसईएस को संबंधित मामले पर रिपोर्ट सब्मिट कराने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है।
यह है पूरा मामला
पर्यावरण कार्यकर्ता वरुण गुलाटी ने याचिका दाखिल की थी। उनका आरोप है कि कई औद्योगिक इकाइयां अवैध रूप से चल रही हैं। इनमें से कई इकाइयां ऐसी हैं, जो कि लाल श्रेणी के तहत आने वाली इकाइयों में शामिल है। इन इकाइयों की वजह से जहां यमुना प्रदूषित हो रही है, वहीं प्रदूषण में भी योगदान दे रहे हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता की याचिका के बाद संयुक्त टीमों ने इन इकाइयों का पता लगाने के लिए निरीक्षण किया था। लेकिन, इन अवैध इकाइयों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, इस पर अभी तक रिपोर्ट सब्मिट नहीं हुई है, जिसके चलते एनजीटी ने एमसीडी और बीएसईएस, दोनों को कड़ी फटकार लगाते हुए 4 सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
