Delhi Crime: दिल्ली में नौकरी का झांसा देकर 100 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी, 5 गिरफ्तार

Fake Jobs Scam
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फर्जी नौकरियों का झांसा देकर ठगी करने वाले 5 गिरफ्तार।

Delhi Crime: दिल्ली पुलिस ने नौकरी का झांसा देकर 100 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया है।

Delhi Crime: नौकरी का झांसा देकर सैकड़ों लोगों को शिकार बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस ने इस मामले में फर्जी नौकरी रैकेट का पर्दाफाश करते हुए कोटला मुबारकपुर इलाके से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में पता चला कि तारिक खान नाम का एक युवक गिरोह का संचालन करता था। साथी कपिल, उसकी पत्नी तन्नू, अदीबा और शहाना उर्फ जोया भी शामिल थीं। पुलिस ने बताया कि ये लोग नौकरी के नाम पर लोगों से रकम ऐंठते थे।

आरोपियों ने ‘स्किल इनोवेशन सॉल्यूशन’ के नाम से एक नकली प्लेसमेंट एजेंसी शुरू की थी। ये गिरोह जानी-मानी भर्ती वेबसाइटों पर विज्ञापन डालकर नौकरी की तलाश में लगे लोगों को शिकार बनाते थे। पुलिस को इस मामले के बारे में तब पता चला, जब शालीमार गार्डन निवासी मनीषा ने शिकायत दर्ज कराई। उसने अमरदीप नाम के एक व्यक्ति ने बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उससे 24,000 रुपये वसूल लिए।

सितंबर के महीने में अमरदीप ने मनीषा से संपर्क किया था। उसने बताया कि उसकी प्रोफाइल एक मल्टीनेशनल कंपनी में चयनित की गई है। उसने मनीषा को इंटरव्यू के लिए कोटला मुबारकपुर में उनके दफ्तर बुलाया। बाद में नौकरी प्रक्रिया के नाम पर ऑनलाइन पेमेंट ऐप से पैसे ट्रांसफर करने के लिए दबाव डाला। पैसे देने के बावजूद भी न तो कोई जॉब ऑफर मिला और न ही उनकी रकम वापस लौटाई गई।

दक्षिण जिले के डीसीपी अंकित चौहान ने बताया कि जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह ने इसी तरीके से 100 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया। ये एजेंसी अवैध तरीके से चल रही थी हालांकि एजेंसी को वैध दिखाने के लिए उन्होंने करीब 10 टेली-कॉलर्स को नियुक्त किया था। पुलिस ने कोटला मुबारकपुर स्थित दफ्तर पर छापा मारा। इस दौरान पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। मौके से कई मोबाइल फोन, फर्जी रसीदें, भुगतान के रिकॉर्ड, उम्मीदवारों के बायोडाटा के साथ ही यूपीआई अकाउंट की जानकारी बरामद की है।

पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की, जिसमें उन्होंने बताया कि वे ऑनलाइन जॉब पोर्टल्स से उम्मीदवारों की जानकारी लेते थे। इसके बाद उन्हें अपने ऑफिस बुलाते थे। वे उन्हें इंटरव्यू के बहाने ऑफिस बुलाते थे। इसके बाद सिक्योरिटी फीस और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर यूपीआई या क्यूआर कोड के जरिए पैसे ऐंठते थे। पैसे मिलने के बाद आरोपी पीड़ितों से संपर्क तोड़ देते थे। बार-बार ऑफिस का एड्रेस बदलते रहते थे।

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