Delhi Police: दिल्ली पुलिस ने पहली बार लगाई BNS की धारा 356, जानें कब होता है इस्तेमाल?

Delhi Police: दिल्ली पुलिस ने पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस) की धारा 356 का इस्तेमाल किया है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। बीएनएस की यह धारा गंभीर मामलों में फरार आरोपियों की अनुपस्थिति में पुलिस को आरोप तय करने और कोर्ट को मुकदमे की कार्यवाही करने की अनुमति देता है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, आरोपी जितेंद्र महतो के खिलाफ बीएनएस की धारा 356 लगाई गई है। आरोपी जितेंद्र अपने पूर्व नियोक्ता रमेश भारद्वाज (68) की हत्या के बाद महीनों से फरार था। दोनों ही दिल्ली के रहने वाले हैं। जानें पूरा मामला...
पुलिस ने क्या बताया?
आउटर नॉर्थ के डीसीपी हरेश्वर स्वामी ने बताया कि इस साल 29 जनवरी को मृतक भारद्वाज की बेटी द्वारा शिकायत दर्ज लापता होने की शिकायत दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था। शिकायत में बताया गया कि भारद्वाज एक दिन पहले स्कूटर से नरेला के लिए निकले थे, जिसके बाद से वह घर वापस नहीं लौटे हैं। पुलिस की जांच में पता चला कि उसी दिन भारद्वाज का पुराना नौकर महतो भी गायब हो गया था।
ऐसे में पुलिस को गड़बड़ी का शक हुआ। पुलिस ने जितेंद्र महतो पर ध्यान केंद्रित कर आगे की जांच शुरू की। इस दौरान पता चला कि भारद्वाज को उसी समय एक प्लॉट की बिक्री के लिए 4.5 लाख रुपये की किस्त मिली थी। इसके अलावा भारद्वाज को आखिरी बार महतो के साथ देखा गया था। एक अधिकारी ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी पुष्टि की कि भारद्वाज अक्सर संदिग्ध के किराए के मकान पर जाता था।
कैसे पकड़ा गया आरोपी?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की। इस दौरान आजादपुर, मुकुंदपुर, नरेला और रोहिणी समेत कई इलाकों में छापेमारी की गई। आरोपी के कॉल रिकॉर्ड, गतिविधियों के पैटर्न और लोकेशन डेटा के विश्लेषण के बाद भी कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद जांच अधिकारियों ने डिजिटल निगरानी शुरू की।
12 फरवरी को पुलिस ने महतो के बेटे अभिषेक उर्फ विशाल का इंस्टाग्राम गतिविधियों के माध्यम से पता लगाया। कड़ी पूछताछ के बाद कथित तौर पर अभिषेक ने बताया कि उसके पिता ने 28 जनवरी को भारद्वाज की हत्या की। इसके बाद दोनों ने शव को ठिकाने लगा दिया। अभिषेक ने दावा किया कि मृतक का बेटा भी इस साजिश में शामिल था।
क्यों लगाई गई धारा 356?
अभिषेक की निशानदेही पर पुलिस ने शहर के एक नाले से मृतक भारद्वाज की लाश बरामद की, जो सड़ी-गली हालत में थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया, लेकिन उसका पता नहीं चल पाया। ऐसे में 25 मार्च को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। फिर 11 जुलाई को कोर्ट ने आरोपी को भगोड़ा घोषित कर दिया। पुलिस ने 25 अगस्त को चार्जशीट दाखिल की और आरोपी की अनुपस्थिति में मुकदमा शुरू करने की अनुमति मांगी।
इसके बाद कोर्ट ने बीएनएसएस की धारा 356 लागू की। इस धारा का प्रावधान गंभीर मामलों में फरार भगोड़े अपराधियों के खिलाफ पूछताछ, आरोप तय करने और मुकदमा की कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देता है। आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं में आरोप तय किए गए।
धारा 356 लगाने का पहला मामला
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 नवंबर को पारित यह आदेश दिल्ली में बीएनएसएस की धारा 356 के प्रयोग करने का पहला मामला है। अधिकारियों के अनुसार, इस प्रावधान का उद्देश्य अभियुक्तों को फरार होकर न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने से रोकना है।
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