Delhi Rains-Storm Reasons: अचानक आंधी-तूफान और बारिश के पीछे किसका हाथ? समझिये वजह

weather changes scientific reasons
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दिल्ली एनसीआर ही नहीं, बाकी हिस्सों में भी मौसम दे रहा दगा। 

Storm and rain delhi today: एक दिन भीषण गर्मी, दूसरे दिन आंधी-तूफान और बारिश... आखिरकार मौसम रोजाना क्यों बदल रहा अपना मिजाज, पढ़िये यह रिपोर्ट...

नई दिल्ली: एक वक्त कहा जाता था कि मुंबई की बारिश का कोई भरोसा नहीं, लेकिन अब दिल्ली-एनसीआर में भी यह बात शत-प्रतिशत ठीक लग रही है। यहां एक दिन भीषण गर्मी झेलनी पड़ती तो दूसरे दिन तेज आंधी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, बारिश का सटीक अनुमान आंकने में मौसम विभाग (IMD) भी फेल हो जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि मौसम में अचानक बदलाव होने के पीछे की वजह क्या है? क्या ये आने वाली तबाही का संकेत है और मौसम विभाग सटीक भविष्यवाणी करने में विफल क्यों हो रहा है? ऐसे ही सवालों के जवाब समझाने का प्रयास करेंगे।

क्यों अचानक बिगड़ रहा मौसम का मिजाज?

इस सवाल पर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सिलसिलेवार पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का असर देखा जा रहा है। साथ ही, बंगाल की खाड़ी अैर अरब सागर से आ रही नम हवाएं भी मौसम में अचानक से बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं।

इसके अलावा हिमाचल के आसपास भी पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव हो रहे हैं, जिसकी वजह से चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बन रहा है। उत्तर पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिमी राजस्थान में भी चक्रवाती हवाएं ऐसा क्षेत्र बना रहा है, जिसकी वजह से आंधी-तूफान और बारिश हो रही है।

आंधी-तूफान, बेमौसम बारिश तबाही का संकेत?

मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो मौसम के पैटर्न में बदलाव आने की प्रमुख वजह जलवायु परिवर्तन है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जिस तरह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, वैसे ही वायु मंडल में नमी बनाए रखने की क्षमता बढ़ रही है। इसकी वजह से बारिश का शेड्यूल बिगड़ गया है। महासागरों का बढ़ता तापमान तो शक्तिशाली और विनाशकारी तूफान को उत्पन्न कर सकता है।

यही नहीं, वायुमंडल की परतों में तेज हवा की धाराएं जिसे जेट स्ट्रीम कहा जाता है, उसमें भी बदलाव देखा जा रहा है। परिणामस्वरूप कभी गर्म हवाएं, कभी आंधी-तूफान और कभी बारिश का दौर देखा जा रहा है।

इस स्थिति से निपटने का क्या तरीका?

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे बचने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए पूरी दुनिया को एकसाथ काम करना होगा। जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने, ऊर्जा दक्षता में सुधार, वनों की कटाई रोकना और नए पौधे लगाना जैसे कदम उठाने होंगे। व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों को पृथ्वी बचाने के लिए सार्थक कदम उठाने होंगे, तभी पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाएगा।

मौसम क्यों दे रहा वैज्ञानिकों को चकमा?

मौसम विभाग के मुताबिक, जलवायु विज्ञान के लिहाज से दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ को एक ही क्षेत्र है। दीर्घ अवधि, मध्यम अवधि और लघु अवधि, तीन तरह की भविष्यवाणी जारी की जाती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबी अवधि में महीने से तीन महीने तक के मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। मध्यम अवधि में तीन से पांच दिन के मौसम का हाल और लघु अवधि में, जिसे कि नाउकास्ट कहा जाता है।

नाउकास्ट में 1 से 3 घंटे के अंतराल पर मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। जब कोई पश्चिमी विक्षोभ बन रहा होता है, तो पहले से भविष्यवाणी जारी कर दी जाती है, जो कि सटीक साबित होती है। लेकिन, यह क्षेत्र के हिसाब से जारी किया जाता है। चूंकि दिल्ली को हरियाणा और चंडीगढ़ के क्षेत्र में शामिल किया गया है, लिहाजा यह कहना गलत होगा कि मौसम विभाग दिल्ली के मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में विफल है।

मुसीबत तब आती है, जब रडार इमेजरी पर आधारित प्रति घंटे की भविष्यवाणी जारी की जाती है। कारण यह है कि आंधी-तूफान मिनटों से लेकर घंटों तक प्रभावी रह सकते हैं। लेकिन, यह 15 किलोमीटर से बड़े क्षेत्र को प्रभावित नहीं करते हैं। इस वजह से आंधी-तूफान को लेकर सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल हो जाता है।

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