Delhi-NCR में भूकंप: पिछले 6 महीने में तीसरी बार हिली धरती, बार-बार भूकंप आने की ये है वजह

दिल्ली में बार-बार क्यों आता है भूकंप।
Earthquake In Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह पिछले 6 महीने के अंदर तीसरी बार है, जब दिल्ली-एनसीआर में भूकंप आया है। इससे पहले 16 अप्रैल और 17 फरवरी को भी भूकंप आया था। वहीं, आज यानी 10 जुलाई को दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में भूकंप के झटके महसूस हुए। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई। अब सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली-NCR में बार-बार भूकंप क्यों आता है? क्या राजधानी दिल्ली की धरती भूकंप के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील है या फिर इसके पीछे कोई और वजह है। आइए समझते हैं इसके पीछे का साइंस...
दिल्ली में क्यों आते हैं ज्यादा भूकंप?
दिल्ली में बार-बार भूकंप आने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं। पहली सबसे बड़ी वजह दिल्ली की भौगोलिक स्थिति है। दिल्ली-एनसीआर का एरिया हिमालय के नजदीक पड़ता है, जहां पर भारतीय और यूरेशियन प्लेटें टकराती हैं। हिमालय का निर्माण भी पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव के कारण ही हुआ है। इसके अलावा दिल्ली की धरती के नीचे कुछ एक्टिव फॉल्ट लाइनों भी मौजूद हैं।
दिल्ली-एनसीआर का जो एरिया है, वो भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच की बॉर्डर के पास स्थित है। जब ये प्लेट्स खिसकती हैं या आपस में टकराती हैं, तो ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप का कारण बनती है। इससे दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। बता दें कि दिल्ली-NCR सिस्मिक जोन-IV में आता है, जहां पर भूकंप का खतरा ज्यादा बना रहता है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने भारत को भूकंप के खतरे के लिहाज से 4 क्षेत्रों में बांटा हुआ है, जिसमें जोन-V सबसे खतरनाक है। जबकि सबसे कम खतरा जोन-II के क्षेत्र में रहता है।
क्या होती हैं फॉल्ट लाइन?
बता दें कि दिल्ली फॉल्ट लाइनों से घिरा हुआ है। इनमें दिल्ली-हरिद्वार रिज (DHR), दिल्ली-सरगोधा रिज (DSR), महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट (MDF), दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट, सोहना फॉल्ट, मथुरा फॉल्ट और रिवर्स फॉल्ट (F1) शामिल हैं। इन फॉल्ट लाइनों को भ्रंश रेखा भी कहा जाता है। यह पृथ्वी के सरफेस के नीचे ऐसी दरारें होती हैं, जहां पर टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल से तनाव होता है। यही तनाव जब रिलीज होता है, दिल्ली-एनसीआर में धरती हिल जाती है।
दिल्ली में कब आया था सबसे खतरनाक भूकंप?
राजधानी दिल्ली में सबसे खतरनाक भूकंप करीब 65 साल पहले आया था। 27 अगस्त, 1960 को दिल्ली में 5.6 की तीव्रता से भूकंप आया था। माना जाता है कि यह दिल्ली में अभी तक का सबसे तेज भूकंप था। इस दिन भूकंप के झटकों से दिल्ली की कई इमारतों में दरार आ गई थी। इसके अलावा करीब 100 लोग मलबा गिरने से घायल हो गए थे।
भूकंप आने पर क्या करें?
- भूकंप के झटके महसूस होने पर डरें नहीं और अपने आप को शांत रखें।
- अगर आप घर के अंदर हैं, तो अपने आपको मजबूत फर्नीचर जैसे टेबल या डेस्क के नीचे छिपकर खुद को कवर करें।
- अगर घर से बाहर हैं, तो बिजली के खंभे, पेड़ और बिल्डिंग से दूर रहें खुले स्थान पर रहें।
- अगर घर के अंदर हैं, तो खिड़की, शीशे, दीवार और पंखे से दूरी बनाए रखें। ये चीजें टूट या गिर सकती हैं।
- वहीं, अगर आप वाहन चला रहे हैं, तो उस धीरे से रोककर अंदर ही बैठे रहें। साथ ही ध्यान रखें कि आप किसी बड़ी इमारत, पुल, ओवरपास या पेड़ों के नीचे न हों।
- भूकंप के झटके के दौरान सीढ़ियों और लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
- इस दौरान दौड़ भाग न करें और अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें। आपातकालीन स्थिति के दौरान सरकारी सूचना पर भरोसा करें।
फोन की ये सेटिंग करें ऑन?
अगर भूकंप आने से कुछ समय पहले अलर्ट मिल जाए, तो आप सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने फोन में गूगल (Google) की इमरजेंसी सेटिंग ऑन करनी होगी। आपको अपने फोन में सेटिंग में जाकर Safety & Privacy पर क्लिक करके वहां पर Earthquake Alerts के ऑप्शन को ऑन करना होगा। इसके बाद अगर कभी भूकंप आता है, तो गूगल आपके फोन पर सायरन बजाकर अलर्ट करेगा।
हालांकि गूगल यह अलर्ट तभी भेजता है, जब भूकंप की तीव्रता 4.5 या उससे ऊपर के मैग्निट्यूड पर होती है। आप इस सेटिंग को ऑन कर लीजिए, लेकिन पूरी तरह से इस पर निर्भर न रहें। भूकंप के आने से पहले उसकी जानकारी दे पाना बहुत मुश्किल है, कई बार भूकंप के दौरान या उसके बाद गूगल अलर्ट भेजता है। ऐसे में आपको खुद सावधानी बरतनी चाहिए।
