Delhi Mock Drill: दिल्ली की सबसे खतरनाक मॉक ड्रिल, लोग बोले- सच में न हो ऐसी त्रासदी

Delhi most dangerous mock drill
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दिल्ली की सबसे खतरनाक मॉक ड्रिल, जहां रेस्क्यू टीमों को मिली चौतरफा चुनौतियां

दिल्ली में कई जगह मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। भूकंप और केमिकल लीकेज दुर्घटना, दो भागों में मॉक ड्रिल कर तैयारियों का अभ्यास हुआ। एक ऐसी जगह मॉक ड्रिल हुई, जिससे लोग भी सकते में दिखे।

दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) की ओर से आज आपदा की स्थिति से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। डीडीएमए ने भूकंप और इंडस्ट्रिल केमिकल एक्सीडेंट, दो प्रमुख आपदाओं से निपटने के लिए विशेष अभ्यास किया। इसके लिए कई जगह पर मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ, लेकिन एक जगह पर ऐसी मॉक ड्रिल हुई, जिसके चलते लोग भी सोचने को विवश हो गए कि ऐसी त्रासदी वास्तव में कभी भी नहीं होनी चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूचना मिली थी कि रोहिणी के एक हॉस्पिटल की बेसमेंट में अचानक आग लग गई है, कई लोग फंसे हैं। सूचना पाते ही तुरंत दमकल विभाग हॉस्पिटल में पहुंच गए और बेसमेंट में आग बुझाने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई और बचाव अभियान शुरू कर दिया। बेसमेंट में 8 लोग फंसे थे और सभी को बाहर निकाल लिया गया। कुल लोग गंभीर रूप से झुलसे और कई लोग मामूली रूप से। गंभीर रूप से झुलसे लोगों को पास के बर्न वार्ड वाले हॉस्पिटलों में शिफ्ट कर दिया, जबकि मामूली रूप से झुलसे लोगों को इसी हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार दिया गया। बाद में उन्हें भी शिफ्ट कर दिया गया।

रेस्क्यू टीमों के लिए परेशानी तब खड़ी, जब इसी हॉस्पिटल की एक इमारत के ढहने की खबर फ्लैश हुई। रेस्क्यू टीमों को एक तरफ जहां आग के दौरान हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई, बच्चा वार्ड और अन्य व्यवस्थाओं को बनाए रखना था, वहीं इमारत गिरने से फंसे 10 लोगों को भी बाहर निकालना था। रेस्क्यू टीमों ने तुरंत एक्शन लिया और मलबे में सभी 10 लोगों को बाहर निकाला और हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया।

यह मॉक ड्रिल सुबह 9 बजकर 36 मिनट पर शुरू हुई और एक घंटे के भीतर ही रेस्क्यू टीमों ने हालात पर काबू पा लिया। एसडीएम वीरेंद्र सिंह ने बताया कि मॉक ड्रिल में हमेशा कुछ न कुछ परिदृश्य सिम्युलेट किया जाता है। यहां सिमुलेशन में एक इमारत ढह गई, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए। साथ ही आग लगने की घटना भी हुई। रेस्क्यू टीमों ने बेहतर प्रदर्शन कर हालात पर काबू पा लिया।

उधर, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट नरवाल सिंह अहलावत ने बताया कि यह एक सुव्यवस्थित अभ्यास था, जिसमें कई एजेंसियां शामिल थीं। इसका आयोजन बहुत कुशलता से किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य यह आकलन करना था कि यदि आवश्यकता पड़े तो वास्तविक आपातकालीन स्थिति में कैसे कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मॉक ड्रिल को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

लोग बोले- सच में न हो ऐसी त्रासदी

उधर, मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि यह मॉक ड्रिल है। बिल्डिंग ढहने का दृश्य बनाने के लिए अस्थायी ढांचा बनाया गया था। अगर सच में हॉस्पिटल की इमारत ढह जाती तो कितने लोगों की जान चली जाती, यह परिकल्पना से दूर है। रोहिणी सेक्टर 2 निवासी ओम राजभर ने कहा कि वे यहां पर अपने परिजन से मिलने आए थे। लेकिन यहां का दृश्य देखकर घबरा गए थे। बाद में पता चला कि यह मॉक ड्रिल है, जिसके बाद उन्होंने राहत की सांस ली। वहीं, दिलबाग ने कहा कि ऐसी त्रासदी कभी नहीं होनी चाहिए। मॉक ड्रिल समय समय पर होना अच्छी बात है ताकि सच में आपदा हो तो लोगों को जल्द से जल्द सहायता मिल सके।

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